जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को मांग की कि केंद्र सरकार देश में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए संशोधित नागरिकता कानून को वापस ले ले। उन्होंने जयपुर में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ हो रहे विरोध-प्रदर्शन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
CAA और NRC के खिलाफ जयपुर में हो रहे प्रदर्शन में गहलोत ने कहा, 'एनडीए सरकार को CAA पर पुनर्विचार करना चाहिए, जो संविधान की भावना के खिलाफ है और इसे वापस लेने के लिए आगे आना चाहिए ताकि शांति और सद्भाव बनाए रखा जा सके।'
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस और राज्य सरकार उनके साथ (प्रदर्शनकारियों) है और अगर जरूरत पड़ी तो वह पहले व्यक्ति होंगे जो डिटेंशन सेंटर में जाएंगे। गहलोत ने कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) के लिए माता-पिता के जन्मस्थान की जानकारी मांगी जा रही है।
सबसे पहले मैं जाऊंगा डिटेंशन सेंटर: गहलोत
उन्होंने कहा कि यदि मैं जानकारी प्रस्तुत करने में सक्षम नहीं हूं, तो मुझे भी नजरबंदी केंद्र में रहने के लिए कहा जाएगा। मुझे अपने माता-पिता के जन्मस्थान के बारे में जानकारी नहीं है। आप निश्चिन्त रहें, अगर ऐसी स्थिति आती है तो सबसे पहले मैं वहां जाऊंगा।
गहलोत ने कहा, 'कानून बनाना सरकार का अधिकार है लेकिन सरकार को लोगों की भावनाओं के अनुसार शासन करना चाहिए। दिल्ली के शाहीन बाग की तरह, राजस्थान सहित पूरे देश में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। सरकार को जनता की भावनाओं को समझना चाहिए।'
गहलोत ने किए कई ट्वीट
इसे लेकर अशोक गहलोत ने कई ट्वीट्स भी किए, जिनमें उन्होंने कहा, 'देशभर में 300-400 जगह पर केंद्र सरकार के विभाजनकारी निर्णयों के विरूद्ध धरने-प्रदर्शन, आंदोलन चल रहे हैं। अधिकांश राज्यों के CM कह चुके हैं कि CAA, NRC को लागू नहीं करेंगे। केंद्र को चाहिए कि स्वयं ही संविधान की मूल भावना को नष्ट करने वाले कानून, जुड़ी प्रक्रियाओं को वापस ले ले। आज देश में अराजकता और डर की स्थिति बनी हुई है। जनता भली-भांति समझती है कि सीएए और एनआरसी देश के संविधान के खिलाफ हैं। एनआरसी के लिए 76000 करोड़ रुपए खर्च करना और सारे देश की जनता को लाइनों में खड़ा करने का कोई अर्थ नहीं है।'
उन्होंने कहा, 'असम में एनआरसी की प्रक्रिया के दौरान गरीब लोगों को, जिसमें सभी धर्म-जातियों के लोग शामिल हैं, नागरिकता सूचियों में नाम दर्ज कराने में कितनी तकलीफें झेलनी पड़ी हैं। वहां एनआरसी के लिए 1600 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद अब राज्य सरकार इसे लागू नहीं करना चाहती।'
'CAA पर पुनर्विचार करना चाहिए'
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि यह सही है कि श्री नरेन्द्र मोदी देश के चुने हुए PM हैं, लेकिन राज्यों में भी जनता के चुने हुए CM हैं। यदि राज्य विधानसभाओं के सदस्यों ने संकल्प पारित कर इन विभाजनकारी कानूनों के बारे में जनता की भावना से केन्द्र सरकार को अवगत कराया है, तो उन्हें इन पर पुनर्विचार करना चाहिए। लोकतंत्र में जनता का फैसला सर्वोपरि होता है, देश की जनता कब अपना निर्णय सुना दे, इसकी किसी को कानों-कान खबर नहीं होती। जयपुर के ऐतिहासिक शांति मार्च में शामिल होने के लिए लोगों को धन्यवाद, 4-5 लाख लोग राष्ट्रीय तिरंगा झण्डा हाथ में लेकर मार्च में शामिल हुए और कोई भी नारा नहीं लगा।