- राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वह कांग्रेस विधायकों को लालच दे रही है।
- भाजपा ने राजस्थान और हरियाणा में निर्दलीय विधायकों का समर्थन कर दिया है।
- राजस्थान और महाराष्ट्र में स्थानीय नेताओं को नजर अंदाज करने के फैसले पर कई कांग्रेस नेता खुलकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
Rajya Sabha Election 2022: एक बार फिर शक्ति परीक्षण की तैयारी है और कांग्रेस ने अपने विधायकों को रिजॉर्ट भेजना शुरू कर दिया है। इस बार का शक्ति परीक्षण राज्य सभा चुनावों को लेकर हैं, जहां पर विधायकों की अहम भूमिका रहती है। लेकिन हर बार की तरह लगता है कि कांग्रेस को अपने विधायकों से ज्यादा रिजॉर्ट पर भरोसा है। इसलिए नामांकन की तारीख खत्म होने के बाद अब पार्टी ने अपने विधायकों को रिजॉर्ट भेजना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में राजस्थान में पार्टी ने अपने ज्यादातर विधायकों को जयपुर के एक रिजॉर्ट में शिफ्ट कर दिया है। वहीं हरियाणा के भी विधायकों को छत्तीसगढ़ शिफ्ट किया जा रहा है।
इसके पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को भाजपा पर आरोप लगाया था कि भाजपा, कांग्रेस विधायकों को लालच दे रही है। और हमारे विधायकों को अपने साथ आने के लिए 25 करोड़ रुपए का ऑफर दे रही है। असल में कांग्रेस द्वारा राज्य सभा में उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करने के बाद राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा में जिस तरह नेताओं में असंतोष फैला है, उसकी वजह से पार्टी को क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है। और इससे बचने के लिए पार्टी विधायकों को रिजॉर्ट भेजकर भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवारों से उन्हें बचाना चाहती है।
रिजॉर्ट पर कब-कब दिखाया भरोसा
कांग्रेस का अपने विधायकों को रिजॉर्ट में रखने का नाता पुराना रहा है। साल 2002 में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को भी रिजॉर्ट पॉलिटिक्स का सहारा लेना पड़ा खा। वह अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले अपने अपने सभी विधायकों को लेकर बेंगलुरु चले गए थे।
- इसी तरह साल 2017 और 2020 में राज्य सभा चुनाव के समय गुजरात में कांग्रेस ने अपने विधायकों को रिजॉर्ट में शिफ्ट किया था।
- कर्नाटक में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान एक खंडित जनादेश के बाद सभी चुने गए विधायकों को कांग्रेस पार्टी ने अपने विधायकों को विभिन्न रिजॉर्ट में रखा था।
- साल 2020 में मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के फ्लोर टेस्ट के पहले विधायकों को रिजॉर्ट में शिफ्ट किया गया था।
- साल 2020 में जब सचिन पायलट ने बागी तेवर दिखाए थे, तो पार्टी ने अपने कई विधायकों को रिजॉर्ट में शिफ्ट कर दिया था।
इन राज्यों में क्रॉस वोटिंग का डर
कांग्रेस को सबसे ज्यादा क्रॉस वोटिंग का डर महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक और हरियाणा में सता रहा है। इसकी वजह यह है कि एक तो राजस्थान की 4 सीटों के लिए 5 उम्मीदवार मैदान में हैं। जबकि मौजूदा संख्या बल के आधार पर कांग्रेस 2 और भाजपा केवल एक सीट आसानी से जीत सकती है। लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा के मैदान में उतरने और भाजपा को उन्हें समर्थन के ऐलान के बाद समीकरण बिगड़ गया है। उपर से विधायक संयम लोढ़ा और पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा की खुलकर नाराजगी परेशानी का सबब बन सकती है। ऐसे में रणदीप सिंह सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी में सभी का जीतना आसान नहीं दिखता है। हालांकि कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने शुक्रवार को कहा है कि कांग्रेस के विधायक एकजुट हैं। भाजपा के दूसरे उम्मीदवार की दूर-दूर तक जीतने की संभावना नहीं है। निर्दलीय हमारे साथ हैं। हमारे पास पर्याप्त बहुमत है।
इसी तरह महाराष्ट्र में भी इमरान प्रतापगढ़ी की उम्मीदवारी को लेकर घमासान मचा हुआ है। राज्य में 6 सीटों के लिए वोटिंग होनी है और उसके लिए 7 उम्मीदवार मैदान में हैं।मौजूदा संख्याबल के लिहाज से कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी को एक-एक जबकि भाजपा के 2 उम्मीदवारों का चुना जाना तय है। लेकिन शिवसेना ने दूसरे उम्मीदवार संजय पवार और भाजपा ने तीसरे उम्मीदवार धनंजय महादिक को मैदान में उतारकर लड़ाई रोचक बना दी है। ऐसे में पृथ्वी राज चह्वाण, नगमा और विश्वबंधु राय जैसे कांग्रेस नेताओं की नाराजगी कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है।
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ऐसा ही हाल कर्नाटक और हरियाणा में है। जहां कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है। कर्नाटक में कुल 4 सीटों के लिए वोटिंग है। संख्या बल को देखते हुए भाजपा 2 और कांग्रेस 1 सीट आसानी से जीत सकती है। लेकिन भाजपा ने तीसरे उम्मीदवार के रूप में लहर सिंह को मैदान में उतार दिया है। इसके बाद मामला रोचक हो गया है। इसी तरह हरियाणा में निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा का भाजपा ने समर्थन कर कांग्रेस की धड़कने बढ़ा दी हैं। जिस वजह से विधायको को रिजॉर्ट भेजा जा रहा है।