नई दिल्ली : राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने आज जोर देकर कहा कि सदन के 12 सदस्य चल रहे शीतकालीन सत्र के शेष समय के लिए निलंबन में हैं और लोकतंत्र की रक्षा के लिए है और यह सदन का निर्णय था न कि सभापति का। सभापति नायडू ने कहा कि सदस्य जिन्होंने सदन के खिलाफ दुर्व्यवहार किया, उन्होंने कोई पछतावा व्यक्त नहीं किया है। दूसरी ओर, वे इसे सही ठहरा रहे हैं। इसलिए, मुझे नहीं लगता कि एलओपी (निलंबन रद्द करने के लिए विपक्ष के नेता खड़गे) की अपील विचार करने लायक है।
राज्यसभा को एक सतत संस्था बताते हुए, सभापति ने कहा कि पिछले मानसून सत्र के अंतिम दिन कुछ सांसदों के दुराचार के कृत्यों के लिए मौजूदा सत्र के पहले दिन कार्रवाई करना सही था और यह सदन का निर्णय था न कि चेयर का। ऐसे में निलंबन को अलोकतांत्रिक करार देना सही नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सभापति और सदन को सदन की प्रक्रिया के नियमों के तहत सदन में सदस्यों द्वारा अनुशासनहीनता के कृत्यों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का अधिकार है।
कांग्रेस ने संसद के शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए 12 राज्यसभा सदस्यों के निलंबन को लेकर कहा कि विपक्ष के सदस्यों की ओर से माफी मांगने का सवाल नहीं है क्योंकि सरकार संसदीय नियमों का उल्लंघन करके और गलत ढंग से निलंबन का प्रस्ताव लाई जिसके लिए उसे माफी मांगनी चाहिए। मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि निलंबन रद्द किया जाना चाहिए ताकि सदन सुचारू रूप चल सके।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद में जनता की बात उठाने के लिए माफी बिल्कुल नहीं मांगी जा सकती। उन्होंने ट्वीट किया कि किस बात की माफ़ी? संसद में जनता की बात उठाने की? बिलकुल नहीं! इसको लेकर संसद के दोनों सदनों में मंगलवार को कांग्रेस ने वाकआउट किया। पार्टी ने राज्यसभा में कार्यवाही का पूरे दिन तक बहिष्कार किया।
कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि सरकार ने लोकतंत्र का गला घोंटा है ताकि विपक्ष जनता के मुद्दों पर उससे सवाल नहीं करे। षड्यंत्र के तहत निलंबन करवाया गया है। राज्यसभा सदस्य ने दावा किया कि कुछ सदस्यों को पिछले सत्र के दौरान की घटना के समय नामित गया था, लेकिन उन्हें निलंबित नहीं किया गया। मसलन, प्रताप सिंह बाजवा। क्योंकि अगर किसानों के लिए बाजवा जी निलंबित होते तो पंजाब में उनका नाम होता। इसलिए राजनीतिक आकलन के आधार पर लोगों को निलंबित किया गया।
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मॉनसून सत्र के दौरान अशोभनीय आचरण करने की वजह से, वर्तमान शीतकालीन सत्र की शेष अवधि तक के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया।
जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।