- सभापति ने 12 सांसदों के निलंबन को वापस लेने से किया इनकार
- सभापति के फैसले पर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और आरजेडी ने किया बहिष्कार
- वेंकैया नायडू बोले- नियम के तहत हुआ था निलंबन
राज्यसभा में मानसून सत्र के दौरान 12 निलंबित सांसदों का मुद्दा छाया रहा। सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले कांग्रेस ने साफ कर दिया था कि निलंबन से कम कुछ स्वीकार नहीं। यही बात राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दोहराई और कहा कि निलंबन न्यायसंगत नहीं है तो उसका जवाब सभापति वेंकैया नायडू ने दिया।
'मर्यादा का ज्ञान ना दें'
वेंकैया नायडू ने कहा कि एक तरफ तो आपलोग सदन की मर्यादा का ख्याल नहीं रखते और दूसरी तरफ सभापति की कुर्सी को पाठ पढ़ा रहे हैं। जो लोग आज निलंबित सांसदों के समर्थन में बातें कर रहे हैं उन्हें 10 अगस्त के रिकॉर्ड को देखना चाहिए। नियमों के मुताबिक ही हंगामा मचाने वाले सांसदों को निलंबित किया गया था और उसे वापस लेने का सवाल नहीं है।
10 अगस्त को याद करे विपक्ष
उन्होंने कहा कि जो लोग मर्यादा और नियम कानून की बात कर रहे हैं उन्हें याद करना चाहिए कि 10 अगस्त को क्या हुआ और उसके एक दिन बाद क्या हुआ। 10 अगस्त को डिप्टी चेयरमैन की तरफ से शांति की अपील की गई। यहां तक कि उन्होंने मान लेकर सदन की मर्यादा का ध्यान दिलाया। लेकिन उनकी किसी ने ना सूनी। चेयर को अपमानित करने का भरपूर प्रयास किया गया था। लिहाजा जो लोग आज संविधान और व्यवस्था की दुहाई दे रहे हैं उन्हें कुछ भी कहने का अधिकार नहीं। जिन सांसदों का व्यवहार मर्यादित नहीं था उनके खिलाफ नियमों के तहत कार्रवाई की गई थी और उससे पीछे हटने का सवाल ही नहीं है।