- किसान नेताओं का नया पता बना पश्चिम बंगाल
- तमाम किसान नेता पहुंचे बंगाल, लोगों से कर रहे हैं भाजपा के खिलाफ वोट देने की अपील
- राकेश टिकैत नंदीग्राम और कोलकाता में करेंगे जनसभाएं संबोधित
नई दिल्ली: खुद को गैरराजनीतिक बताने वाले किसान नेता अब खुलकर पॉलिटिक्स के मैदान में आ गए हैं। भले ही ये नेता चुनाव नहीं लड़ रहे हैं लेकिन बंगाल के सियासी रण में प्रचार के लिए जरूर उतर गए हैं और लोगों से बीजेपी के खिलाफ वोट देने की अपील कर रहे हैं। किसान नेताओं का कहना कि है कि भाजपा का बहिष्कार करके सरकार का घमंड तोड़ा जाए।
भाजपा को वोट नहीं देने की अपील
विभिन्न किसान संघों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के किसानों और अन्य लोगों से आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट नहीं देने का अनुरोध किया। मोर्चा ने कहा कि चुनावी हार केंद्र की भाजपा नीत सरकार को तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर करेगी। एसकेएम नेता योगेंद्र यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'हम किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं कर रहे हैं या लोगों से यह नहीं कर रहे हैं वे किसे वोट दें लेकिन हमारी एकमात्र अपील है कि भाजपा को सबक सिखाया जाए।'
टिकैत आज करेंगे रैलियां
बंगाल पहुंचे किसान नेता 294 विधानसभा क्षेत्रों में अपने दूतों के जरिए लोगों से संपर्क करेंगे और ट्रैक्टर यात्रा करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत आज कोलकाता और नंदीग्राम में महापंचायत तथा रैलियों को संबोधित करेंगे और लोगों से बीजेपी के खिलाफ वोट देने की अपील करेंगे। बंगाल में अपनी पूरी ताकत झोंकने में लगे किसान नेता खुलकर राजनीति के मैदान में पहुंच चुके हैं। बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, योगेंद्र यादव जैसे नेता बंगाल पहुंच चुके हैं।
केवल बंगाल पर ही फोकस
किसान नेताओं का नया पता बंगाल बन गया है। पांच राज्यों में इस समय विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं लेकिन किसान नेता बंगाल पर फोकस कर रहे हैं जहां बीजेपी टीएमसी को कड़ी टक्कर देती हुई नजर आ रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि किसान नेता अन्य राज्यों में क्यों नहीं जा रहे हैं जबकि तमिलनाडु, केरल, असम में भी खूब खेती होती है। लेकिन जिस तरह से बंगाल चुनाव सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक चर्चा में है उसे देखते हुए किसान नेताओं की रणनीति हो सकती है कि इसके जरिए फिर से चर्चा में रहा जाए। वहीं किसान नेता यह दिखाने की कोशिश में है कि यह आंदोलन केवल पंजाब, हरियाणा या यूपी तक सीमीत नहीं है बल्कि यह पूरे देश में फैल चुका है।