- राकेश टिकैत ने 26 जनवरी की हिंसा के बाद इस किसान आंदोलन को प्रमुखता से संभाला
- टिकैत मीडिया के सामने भावुक हो गए और रो पड़े और उनके रोने का किसानों पर खासा असर हुआ
- किसानों के मिल रहे समर्थन से राकेश टिकैत भी बेहद उत्साहित हैं
जनसमर्थन क्या होता है इसे गुजरात में हार्दिक पटेल (Hardik Patel) बखूबी दिखा चुके हैं कहा जा रहा है कि किसान नेता राकेश टिकैत भी क्या उसी राह पर चल रहे हैं क्या वो राजनीति मे उतरेंगे, फिलहाल ये साफ नहीं लेकिन उन्हें लोगों का सपोर्ट बखूबी मिल रहा है।केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के तमाम बॉर्डरों पर चल रहे किसान आंदोलन एक बार फिर तेजी पकड़ गया है, इस बार इसका काफी हद तक श्रेय किसान नेता राकेश टिकैत को दिया जा रहा है।
राकेश टिकैत ने 26 जनवरी की हिंसा के बाद इस किसान आंदोलन को प्रमुखता से संभाला है और अब वो इसका खासा चेहरा बनकर उभरे हैं, उन्होंने कह दिया है कि आंदोलन तभी खत्म होगा जब सरकार तीनों कानूनों को वापस ले लेती है।
कहा जा रहा है कि जिस तरीके से गुजरात में हार्दिक पटेल अपनी समाज पाटीदार आंदोलन से आगे बढ़े और बाद में उनका पॉपुलैरिटी के साथ जनसमर्थन कितना बढ़ा ये किसी से छिपा नहीं है।
वहीं अन्ना आंदोलन से निकले केजरीवाल के बारे में भी कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है, हालांकि वो भी राजनीति में ना आने की बात करते रहे थे लेकिन आज वो दिल्ली की सत्ता पर काबिज हैं।26 जनवरी के बाद की स्थिति में राकेश टिकैत ने सरकार पर जबरन आंदोलन स्थल खाली करवाने के आरोप लगाए इस दौरान यह सब बताते हुए वह मीडिया के सामने भावुक हो गए और रो पड़े और उनके रोने का इतना असर हुआ कि इस कदम ने पासा पलट दिया और किसानों का हूजूम रातोरात गाजीपुर बॉर्डर आ पहुंचा इससे राकेश टिकैत किसानों के स्थापित चेहरा बनते दिखे।
ऐसे ही कहा जा रहा है कि किसानों के मिल रहे समर्थन से राकेश टिकैत भी बेहद उत्साहित हैं और उनके भविष्य में राजनीति में आने के कयास भी लगने शुरू हो गए हैं हालांकि इस बारे में कुछ कहना अभी जल्दबाजी होगी। 27, 28 जनवरी की रात टिकैत की आंखों से गिरे आंसुओं ने किसान आंदोलन को मजबूती तो दी ही है साथ ही उनकी लोकप्रियता पर भी इसका असर हुआ। जिसका जीता जागता उदाहरण सोशल मीडिया पर उनके फॉलोवर्स बयां कर रहे हैं।
वहीं राकेश टिकैत जो किसान आंदोलन से निकले हुए नेता हैं उनका कहना है कि 'मैं नेतागिरी नहीं करता, मैं किसान हूं, किसानों को नेतागिरी से नहीं एमएसपी पर कानून गारंटी से मतलब है बस।'
बताते हैं कि राकेश टिकैत की भी राजनीति को लेकर अकांक्षा पनप रही है और वो उसी दिशा में आने वाले टाइम में आगे बढ़ेंगे, फिलहाल वो इससे इंकार कर हैं लेकिन आगे आप उन्हें राजनीति में प्रमुखता से बढ़ते हुए देखें तो हैरान होने की जरूरत नहीं होगी।
गणतंत्र दिवस के दिन के आस पास टिकैत के करीब 4 हजार फॉलोवर्स थे, लेकिन कुछ ही दिन पहले उनका ट्वीटर अकाउंट वेरिफाइड हुआ और फॉलोवर्स की संख्या करीब डेढ़ लाख हो गई। वहीं फेसबुक पेज की पोस्ट तो तीन करोड़ लोगों तक पहुंच चुकी है, यही वजह है कि राकेश टिकैत पश्चिमी उप्र से निकलकर उत्तरी भारत के बड़े किसान नेता बनते जा रहे हैं।