- सरदार पटेल का लौह पुरुष कहा जाता था
- उन्होंने 550 से ज्यादा रियासतों को भारत में शामिल करने का जिम्मा उठाया
- पटेल ने आधुनिक भारत के एकीकृत मानचित्र को मौजूदा स्वरूप दिया
नई दिल्ली: देश के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का निधन 1950 में आज ही के दिन हुआ था। 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले में एक किसान परिवार में पैदा हुए सरदार पटेल को उनकी कूटनीतिक क्षमताओं के लिए हमेशा याद किया जाता है। पटेल ने आजादी के बाद देश के नक्शे को मौजूदा स्वरूप देने में अमूल्य योगदान दिया। देश को एकजुट करने की दिशा में पटेल की राजनीतिक और कूटनीतिक क्षमता ने अहम भूमिका निभाई। भारत रत्न से सम्मानित सरदार पटेल ने 15 दिसंबर 1950 को अंतिम सांस ली।
देश की एकता और अखंडता में सरदार पटेल ने अहम योगदान दिया। आजादी से पहले और उसके तत्काल बाद के अनिश्चय से भरे माहौल में सरदार पटेल ने देश की 562 रियासतों को भारत में शामिल करने का जिम्मा उठाया और उन्हें एक राष्ट्र के रूप में जोड़ने में कामयाब रहे। उन्होंने देश के प्रशासनिक तंत्र को मजबूत करने के साथ ही सहकारिता पर जोर दिया और देश को हर हाल में विकास पर आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित किया।
उनके प्रयासों से बना मौजूदा नक्शा
सरदार पटेल की नीति के आगे ज्यादातर रियासतों ने खुद को भारतीय संघ में विलय कर दिया। लेकिन हैदराबाद, जम्मू-कश्मीर और काठियावाड़ की रियासतें भारत माता की शरीर में कांटों की तरह चुभ रही थीं। लेकिन सरदार पटेल की नीति के आगे स्वतंत्रता का सपना देख रहे हैदराबाद के निजाम और काठियावाड़ के शासक को झुकना पड़ा। उनके प्रयासों से भारत का मौजूदा नक्शा हम सबके सामने है और तिरंगा शान से लहरा रहा है।
पटेल की कुशल रणनीति और फौलादी इरादों का हर कोई कायल था। महिलाओं ने उन्हें प्यार से सरदार बुलाना शुरू कर दिया। भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान के लिये उन्हे भारत का लौह पुरूष के रूप में जाना जाता है।