- मनी लॉन्ड्रिंग केस में सत्येंद्र जैन गिरफ्तार, अरविंद केजरीवाल के खास सहयोगियों में से एक
- सत्येंद्र जैन, हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए आप के प्रभारी हैं।
- मनीष सिसोदिया का कहना है बीजेपी को हिमाचल प्रदेश में हार का डर इसलिए हुई कार्रवाई
मनी लॉन्ड्रिंग में केस में लंबी जांच के बाद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशालय ने सोमवार को गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के बाद सियासी तौर पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच तल्खी बढ़ गई है। दोनों दल एक दूसरे के ऊपर आरोप लगा रहे हैं। बीजेपी का कहना है कि अरविंद केजरीवाल जो ईमानदारी की बातें किया करते थे आखिर वो आदर्श कहां गए। जब आम आदमी पार्टी, बीजेपी पर हमलावर है तो डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया हिमाचल प्रदेश में अपनी हार की डर से बीजेपी ने ईडी का बेजा इस्तेमाल कर रही है।
मनीष सिसोदिया ने क्या कहा
सिसोदिया ने आगे कहा कि 8 साल पुराना मामला 'पूरी तरह से फर्जी' है। सत्येंद्र जैन के खिलाफ आठ साल से फर्जी केस चल रहा है। ईडी अब तक जैन को कई बार फोन कर चुकी है। बीच में ईडी ने कई सालों तक फोन करना बंद कर दिया क्योंकि उन्हें कुछ नहीं मिला। अब फिर से शुरू किया क्योंकि सत्येंद्र जैन हिमाचल के चुनाव प्रभारी हैं। आप मंत्री ने आगे दावा किया कि सत्येंद्र जैन को आज इसलिए गिरफ्तार किया गया है ताकि वह हिमाचल न जा सकें।हिमाचल में बीजेपी बुरी तरह हार रही है. इसलिए आज सत्येंद्र जैन को इसलिए गिरफ्तार किया गया है ताकि वह हिमाचल न जा सकें। कुछ दिनों में उसे छोड़ दिया जाएगा क्योंकि मामला पूरी तरह से फर्जी है।
क्या है मामला
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोलकाता की एक कंपनी से संबंधित कथित हवाला लेनदेन के सिलसिले में सत्येंद्र जैन को उनके आवास से गिरफ्तार किया।यह कार्रवाई ईडी द्वारा इस साल अप्रैल में अकिंचन डेवलपर्स प्राइवेट नाम की कंपनियों के स्वामित्व वाली 4.81 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को कुर्क करने के बाद हुई है। लिमिटेड, इंडो मेटल इंपेक्स प्राइवेट लिमिटेड, और अन्य ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत आय से अधिक संपत्ति और धन शोधन के मामले में जैन, उनकी पत्नी पूनम जैन और अन्य को दर्ज किया।
गौरतलब है कि 25 अगस्त 2017 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी।ईडी ने इस प्राथमिकी के आधार पर आप नेता के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया था जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि जैन चार कंपनियों को प्राप्त धन के स्रोत की व्याख्या नहीं कर सके, जिसमें वह एक शेयरधारक थे।जैन ने कथित तौर पर दिल्ली में कई मुखौटा कंपनियां बनाई थीं या खरीदी थीं। उसने कथित तौर पर कोलकाता के तीन हवाला ऑपरेटरों की 54 मुखौटा कंपनियों के जरिए 16.39 करोड़ रुपये के काले धन का शोधन भी किया।
कथित तौर पर जैन के पास प्रयास, इंडो और अकिंचन नाम की कंपनियों में बड़ी संख्या में शेयर थे। हालांकि, रिपोर्ट्स के मुताबिक, केजरीवाल की सरकार में मंत्री बनने के बाद 2015 में उनके सारे शेयर उनकी पत्नी को ट्रांसफर कर दिए गए।ये कंपनियां अपने कोलकाता समकक्षों को नकद भुगतान हस्तांतरित करती थीं और ये कंपनियां बाद में, शेयर खरीदने के बहाने, कानूनी साधनों का उपयोग करके जैन को पैसे वापस भेजती हैं।
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