इन दिनों अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ भी बोलने का फैशन चल पड़ा है। राजनीतिक विरोध में अब कई लोग देश को भी कोसने लगे हैं। विदेश में भारत की बेइज्जती करने लगे हैं। पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया पर तूफान मचा है, तलवारें खींची हुई हैं और ये हंगामा हो रहा है स्टैंड अप कॉमेडियन वीर दास के बयान को लेकर। वीर दास ने अमेरिका में भारत की महिलाओं को लेकर कुछ ऐसा कहा, जिसे सुनकर एक महिला के तौर पर मुझे भी बहुत बुरा लगा।
कैसी बात कर रहे हैं वीर दास...कह रहे हैं कि भारत में दिन में महिलाओं को पूजा जाता है और रात में उनसे गैंगरेप किया जाता है। कौन कहता है कि अपना देश ऐसा है? अगर भारत का संविधान अभिव्यक्ति की आजादी देता है तो कोई कुछ भी बोलेगा? बात सिर्फ इतनी नहीं है...वीर दास ने अमेरिका में भारत को लेकर जो कहा उसे तथाकथित बुद्धिजीवियों ने लपक लिया और सही ठहराना भी शुरू कर दिया। कांग्रेस नेता शशि थरूर, दिग्विजय सिंह, कपिल सिब्बल ये सब वीर दास को सपोर्ट कर रहे हैं। क्यों कर रहे हैं ये समझ में नहीं आ रहा।
कांग्रेस ने एजेंडा लपका तो बीजेपी भी फ्रंट-फुट पर आ गई। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने वीर दास की कविता पर कड़ा ऐतराज जताया। वीर दास के बयान पर देश गुस्से में है और ये गुस्सा सिर्फ सोशल मीडिया पर ही नहीं है। दिल्ली-मुंबई में वीर के खिलाफ FIR भी दर्ज कराई गई है। इसके बाद वीर दास को अपने बयान पर सफाई देनी पड़ी।
वीर दास..आपने नारी पूजा को गैंपरेप से जोड़कर गजब की क्रिएटिविटी दिखाई। देश को गाली दी और कह रहे हैं दुनिया ने चीयर्स बोला? आपने देश का मजाक दुनिया के सामने उड़ाया और खुद ही बता रहे हैं कि दुनिया ने कहा..वाह! वीर तुमने कमाल कर दिया। क्या गजब की सफाई है आपकी? और गजब हैं उनका समर्थन करने वाले भी। अब जो सवाल पब्लिक का है वो है...
- कंगना और वीर के बयान पर दोहरा रवैया क्यों?
- अभिव्यक्ति की आजादी के लिए सेलेक्टिव अप्रोच क्यों?
- वीर का मजाक क्रिएटिव..कंगना का बयान देशद्रोह?
- कंगना रनौत गलत तो वीर दास सही कैसे?
- अपना फायदा देख..विरोध की राजनीति कैसे?