- दिल्ली का शाहीन बाग सीएए विरोधी धरना-प्रदर्शन का मुख्य केंद्र बना हुआ था
- शाहीन बाग प्रदर्शन से जुड़े रहे कार्यकर्ता शहजाद अली बीजेपी में शामिल हुए हैं
- उन्होंने कहा कि सीएए संबंधी चिंताओं को साथ मिलकर दूर किया जाएगा
नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ देशभर में जब धरना-प्रदर्शन हो रहे थे, दिल्ली में शाहीन बाग इसका मुख्य केंद्र बना हुआ था। देश में कोरोना वायरस संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के बीच शाहीन बागह समेत तमाम जगह आयोजित प्रदर्शनों पर ब्रेक लग गया था। लंबे समय से इससे जुड़े कार्यकर्ता सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिये अपनी मुहिम जारी रखे हुए थे। इस बीच शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन से जुड़े रहे कार्यकर्ता शहजाद अली ने रविवार को बीजेपी का दामन थाम लिया और कहा कि सीएए पर चिंताओं को साथ मिलकर दूर किया जाएगा।
क्या बोले शहजाद अली?
शहजाद अली रविवार को दिल्ली में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता और श्याम जाजू की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुए। उन्होंने कहा, 'मैं हमारे समुदाय में उन लोगों को गलत साबित करने के लिए बीजेपी से जुड़ा हूं, जिन्हें लगता है कि बीजेपी हमारी दुश्मन है। सीएए से जुड़ी चिंताओं पर साथ मिलकर बात करेंगे और इसे दूर करने का प्रयास करेंगे।'
'मुसलमानों के साथ भेदभाव नहीं'
इस बीच दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि पार्टी सभी मुस्लिम भाइयों को विकास की मुख्यधारा में शामिल करना चाहती है। यह जानते-समझते हुए कि मुसलमानों के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा रहा है, आज सैकड़ों मुस्लिम भाइयों ने पार्टी ज्वाइन की है। उन्होंने उन महिलाओं को भी बधाई दी, जिन्होंने तीन तलाक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के फैसलों के बाद पार्टी ज्वाइन की।
'सैकड़ों मुसलमान बीजेपी से जुड़े'
वहीं, बीजेपी नेता श्याम जाजू ने कहा कि हर मुसलमान को यह पता है कि किसी को भी अपनी राष्ट्रीयता साबित करने की जरूरत नहीं है। सीएए को लेकर कुछ राजनीतिक पार्टियों ने मुसलमानों को गुमराह करने का प्रयास किया है, लेकिन अब उन्हें हकीकत मालूम है। वे जानते हैं कि न तो किसी को नागरिकता साबित करने की जरूरत है और न ही उनका वोट का अधिकार खोने जा रहा है। यह समझते हुए कि उन्हें केवल इसी पार्टी के जरिये न्याय मिल सकता है, आज ऐसे सैकड़ों मुसलमान बीजेपी से जुड़े हैं, जो शाहीन बाग प्रदर्शन में शामिल रहे थे।
यहां उल्लेखनीय है कि संशोधित नागरिकता कानून के जरिये पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आ चुके हिन्दू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। सीएए विरोधी इसे भारतीय संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते रहे हैं।