- कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले 71 दिन से आंदोलन कर रहे हैं
- किसान संगठनों ने 6 फरवरी को चक्का जाम का किया है ऐलान
- किसान आंदोलन और कृषि कानून की गूंज अब संसद में
नई दिल्ली। कृषि कानून के खिलाफ किसान पिछले 71 दिन से आंदोलन पर है। किसान संगठनों का कहना है कि उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगी जब तक केंद्र सरकार कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस नहीं लेती। इसके साथ ही किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कम से कम उनका आंदोलन अक्टूबर तक चलेगा। इन सबके बीच एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने क्या कुछ कहा उसे जानना जरूरी है।
शरद पवार ने क्या कहा
शरद पवार ने कहा कि आज शांति से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। अगर इस रास्ते को छोड़कर किसान किसी दूसरे रास्ते पर चले गए तो देश के सामने बड़ा संकट आ सकता है। इसकी पूरी ज़िम्मेदारी भाजपा सरकार हो लेनी होगी। ऐसे कई मुद्दे हैं, आज जिनके हाथ में हुकूमत है वो संवेदनशील नहीं है। इससे पहले राकेश टिकैत ने कहा कि हम सभी जगह जाएंगे, पूरे देश में जाएंगे। 7 फरवरी को दादरी, हरियाणा में पंचायत है।
सियासी बन चुका है आंदोलन
कई राजनेता विरोध स्थलों पर प्रदर्शनकारियों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करने की योजना बना रहे हैं। एक समय वह भी था, जब 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान निर्धारित किए गए रास्ते को छोड़कर किसानों का एक समूह दिल्ली के अंदर घुस आया था और कई जगह पर तोड़फोड़ और पुलिस के साथ हाथापाई की घटना भी देखने को मिली थी। उस समय यह समझा जा रहा था कि हिंसा की वजह से किसानों को मिल रहा समर्थन अब कुछ कम हो जाएगा। शुरूआत में ऐसा हुआ भी, क्योंकि कुछ किसान नेताओं ने हिंसा के बाद आंदोलन से किनारा कर लिया।
वेस्ट यूपी, हरियाणा के साथ दूसरे प्रदेशों में किसान आंदोलन
किसान आंदोलन अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसानों के साथ ही देश के अन्य हिस्सों में भी मजबूती प्राप्त करता जा रहा है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बिहार के विपक्षी दलों ने किसान आंदोलन के समर्थन में हाल ही में राज्य भर में मानव श्रृंखला (ह्यूमन चेन) बनाई है। वहीं महाराष्ट्र और अन्य कई राज्यों में भी किसानों के समर्थन में लगातार प्रदर्शन जारी हैं। इसलिए अब कहा जा सकता है कि यह आंदोलन अखिल भारतीय स्तर पर बड़ा होता जा रहा है, जो कि सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।