- पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम के साथ निर्माण कार्य शुरू
- पीएम नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन किया, अभिजीत मुहूर्त में राम मंदिर की नींव रखी गई
- राम के आदर्शों को आत्मसात करते हुए सभी लोगों को विकास पथ पर चलने की अपील की
नई दिल्ली। पांच अगस्त का दिन भारत के इतिहास में हमेशा के लिए यादगार लम्हे के तौर पर याद किया जाएगा। राम नगरी अयोध्या में अभिजीत मुहूर्त में पीएम नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के लिए भूमि पूजन किया और उसके साथ मंदिर निर्माण की औपचारिक शुरुआत हो गई। भूमि पूजन के बाद जब उन्होंने संदेश में कहा कि राम संपूर्ण थे और उनके आदर्शों पर चलने की जरूरत है। राम के मानस में किसी से भेद नहीं था वो सबके हित की बात करते थे। भगवान राम किस तरह से दीन और दुखियों के बारे में सोचा करते थे उसके लिए दीन दयालु विरद संभारा का जिक्र किया। लेकिन कांग्रेस को शायद यह रास नहीं आया और शशि थरूर ने ट्वीट के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कसा तंज
शशि थरूर ट्वीट के जरिए कहते हैं कि ना प्रेम सीखा है, ना त्याग सीखा है ना करुणा सीखी है, ना अनुराग सीखा है खुद को राम से बड़ा दिखाकर, खुश होने वालो तुमने श्री राम चरित मानस का कौन सा भाग सीखा है?
पीएम मोदी के भाषण के कुछ खास अंश
- श्रीरामचंद्र को तेज में सूर्य के समान, क्षमा में पृथ्वी के तुल्य, बुद्धि में बृहस्पति के सदृश्य और यश में इंद्र के समान माना गया है। श्रीराम का चरित्र सबसे अधिक जिस केंद्र बिंदु पर घूमता है, वो है सत्य पर अडिग रहना। इसीलिए ही श्रीराम संपूर्ण हैं। इसलिए ही वो हजारों वर्षों से भारत के लिए प्रकाश स्तंभ बने हुए हैं। श्रीराम ने सामाजिक समरसता को अपने शासन की आधारशिला बनाया था। उन्होंने गुरु वशिष्ठ से ज्ञान, केवट से प्रेम, शबरी से मातृत्व, हनुमानजी एवं वनवासी बंधुओं से सहयोग और प्रजा से विश्वास प्राप्त किया।
- जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं है, जहां हमारे राम प्रेरणा न देते हों। भारत की ऐसी कोई भावना नहीं है जिसमें प्रभु राम झलकते न हों। भारत की आस्था में राम हैं, भारत के आदर्शों में राम हैं! भारत की दिव्यता में राम हैं, भारत के दर्शन में राम हैं! हजारों साल पहले वाल्मीकि की रामायण में जो राम प्राचीन भारत का पथ प्रदर्शन कर रहे थे, जो राम मध्ययुग में तुलसी, कबीर और नानक के जरिए भारत को बल दे रहे थे, वही राम आज़ादी की लड़ाई के समय बापू के भजनों में अहिंसा और सत्याग्रह की शक्ति बनकर मौजूद थे! तुलसी के राम सगुण राम हैं, तो नानक और कबीर के राम निर्गुण राम हैं!
- भगवान बुद्ध भी राम से जुड़े हैं तोसदियों से ये अयोध्या नगरी जैन धर्म की आस्था का केंद्र भी रही है। राम की यही सर्वव्यापकता भारत की विविधता में एकता का जीवन चरित्र है! तमिल में कंब रामायण तो तेलगू में रघुनाथ और रंगनाथ रामायण हैं। उड़िया में रूइपाद-कातेड़पदी रामायण तो कन्नड़ा में कुमुदेन्दु रामायण है। आप कश्मीर जाएंगे तो आपको रामावतार चरित मिलेगा, मलयालम में रामचरितम् मिलेगी। बांग्ला में कृत्तिवास रामायण है तो गुरु गोबिन्द सिंह ने तो खुद गोबिन्द रामायण लिखी है। अलग अलग रामायणों में, अलग अलग जगहों पर राम भिन्न-भिन्न रूपों में मिलेंगे, लेकिन राम सब जगह हैं, राम सबके हैं। इसीलिए, राम भारत की ‘अनेकता में एकता’ के सूत्र हैं।
- दुनिया में कितने ही देश राम के नाम का वंदन करते हैं, वहां के नागरिक, खुद को श्रीराम से जुड़ा हुआ मानते हैं। विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या जिस देश में है, वो है इंडोनेशिया। वहां हमारे देश की ही तरह ‘काकाविन’रामायण, स्वर्णद्वीप रामायण, योगेश्वर रामायण जैसी कई अनूठी रामायणें हैं। राम आज भी वहांपूजनीय हैं। कंबोडिया में ‘रमकेर’रामायण है, लाओ में ‘फ्रा लाक फ्रा लाम’ रामायण है, मलेशिया में ‘हिकायत सेरी राम’तो थाईलैंड में ‘रामाकेन’है! आपको ईरान और चीन में भी राम के प्रसंग तथा राम कथाओं का विवरण मिलेगा।
श्रीलंका में रामायण की कथा जानकी हरण के नाम सुनाई जाती है, और नेपाल का तो राम से आत्मीय संबंध, माता जानकी से जुड़ा है। ऐसे ही दुनिया के और न जाने कितने देश हैं, कितने छोर हैं, जहां की आस्था में या अतीत में, राम किसी न किसी रूप में रचे बसे हैं! आज भी भारत के बाहर दर्जनों ऐसे देश हैं जहां, वहां की भाषा में रामकथा, आज भी प्रचलित है। मुझे विश्वास है कि आज इन देशों में भी करोड़ों लोगों को राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू होने से बहुत सुखद अनुभूति हो रही होगी। आखिर राम सबके हैं, सब में हैं।