- शिवसेना पर दावेदारी की लड़ाई पर सियासत
- मामला चुनाव आयोग से लेकर सु्प्रीम कोर्ट तक
- 12 राज्यों के प्रमुखों ने उद्धव ठाकरे का छोड़ा साथ
उद्धव ठाकरे को झटका देते हुए एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज हो गए। लेकिन अब अहम सवाल यह है कि पार्टी किसकी है।यानी कि शिवसेना पर असली अधिकार किसका है। शिवसेना पर दोनों गुट दावा कर रहे हैं और मामला चुनाव आयोग से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक है। इस बीच उद्धव ठाकरे कैंप को बड़ा झटका लगा है। 12 राज्यों के प्रमुखों ने एकनाथ शिंदे को समर्थन देने का फैसला किया है। राजनीतिक तौर पर पार्टी पर दावे के संबंध में एकनाथ शिंदे के लिए बेहतरीन अवसर माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में भी मामला
उद्धव ठाकरे-एकनाथ शिंदे विवाद में 'सुप्रीम' निर्णय देते हुए कहा कि अब इस विषय की सुनवाई पांच जजों की बड़ी बेंच करेगी।SC ने महाराष्ट्र सेना बनाम शिवसेना राजनीतिक विवाद में उद्धव और शिंदे गुटों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर 7 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। संविधान पीठ गुरुवार को मामले की सुनवाई करेगी और पहले निर्णय लिया जाएगा कि क्या चुनाव आयोग के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगानी है? चूंकि कई संवैधानिक मुद्दे, विशेष रूप से 10 वीं अनुसूची (दलबदल विरोधी कानून) से संबंधित याचिकाओं में शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 10वीं अनुसूची पर व्यापक विचार विमर्श की जरूरत है।
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क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि 12 राज्यों के प्रमुखों का समर्थन देने का मतलब है कि राज्यों में पार्टी संगठन भी अब उद्धव ठाकरे की कमान को चुनौती दे चुका है। ऐसी सूरत में शिंदे कैंप चुनाव आयोग के सामने यह दावा और पुख्ता तौर पर पेश कर सकता है कि पार्टी का समर्थन उन्हें ना सिर्फ महाराष्ट्र में बल्कि दूसरे राज्यों की ईकाइयों से भी मिल रहा है।