- मध्य प्रदेश में है देश के सबसे ज्यादा बाघों की संख्या
- जल्द ही नामीबिया के चीते मध्य प्रदेश के वन अभ्यारण्य में दिखाई देंगे
- भोपाल के केरवा इलाके में 2013 में स्थापित किया था “गिद्ध संरक्षण और प्रजनन केन्द्र
Namibian Cheetahs Latest News: अपनी प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता से भरा मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट के साथ ही अब अफ्रीकन चीता के लिए भी जाना जाएगा। देश में करीब 70 साल बाद चीता की वापसी हो रही है और वो भी मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय अभ्यरण्य में। 17 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने जन्मदिन के अवसर पर मध्यप्रदेश सहित देश को ये सौगात देंगे। मध्यप्रदेश को प्राकृतिक खूबसूरती तो कुदरत की ही देन है। प्रदेश के लगभग एक तिहाई हिस्से में वन फैले हुए हैं। इन वनों में कई तरह के वन्य जीव विचरण करते हैं। लेकिन इस वन संपदा और वन्य जीवों को संरक्षण और संवर्धन देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने कई सराहनीय कार्य किये हैं। इसी का नतीजा है कि आज प्रदेश में देश के सबसे ज्यादा बाघ हैं। इसके साथ ही घड़ियाल, तेंदुओं , गिद्धों जैसे जीवों के संरक्षण के मामले में भी मध्यप्रदेश का देश में पहला स्थान है।
सर्वेक्षण में चीतों के लिये कूनो पाया गया सबसे अनुकूल
साला 1952 में भारत को चीता विलुप्त घोषित किया गया था। इसके बाद वर्ष 2009 में चीतों को फिर बसाने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार के साथ अंतर्राष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों से की चर्चा हुई। जिस आधार पर 2010 में भारतीय वन्य जीव संस्थान (वाईल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट) ने भारत में चीता पुनर्स्थापना के लिए संभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया, जिसमें 10 स्थानों में मध्यप्रदेश का कूनो अभ्यारण्य जो वर्तमान में कूनो राष्ट्रीय उद्यान है, सबसे ज्यादा उपयुक्त पाया गया। सर्वे के मुताबिक कूनो के राष्ट्रीय उद्यान के 750 वर्ग किलोमीटर में लगभग दो दर्जन चीतों के लिए अनुकूल है। इसके अलावा करीब 3 हजार वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र दो जिलों श्योपुर और शिवपुरी में चीतों के स्वंच्छद विचरण के लिए अनुकूल हैं।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, लागू करने वाला पहला राज्य
25 जनवरी 1973 को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 को लागू करने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य था। वन्यजीवों के संरक्षण के लिए औपचारिक प्रयास 1933 में कान्हा अभयारण्य की स्थापना के साथ शुरू हुआ। स्वतंत्रता के बाद के युग में राज्य ने 1955 में मध्यप्रदेश राष्ट्रीय उद्यान अधिनियम बनाया, बाद में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम ने उपरोक्त अधिनियम को हटा दिया। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के अनुसार, मध्य प्रदेश राज्य ने 10 राष्ट्रीय उद्यानों और 25 वन्यजीव अभ्यारण्यों को अधिसूचित किया है।
लगातार दूसरी बार टाइगर स्टेट बनने की राह पर प्रदेश
वर्तमान में मध्य प्रदेश में प्रदेश में 6 टाइगर रिजर्व कान्हा, बांधवगढ़, संजय टाइगर रिजर्व, पन्ना, सतपुड़ा और पेंच टाइगर रिजर्व के रूप में मौजूद हैं। इन दिनों टाइगर की गिनती का काम पूरे देश में किया जा रहा है जिसके परिणाम आगामी अक्टूबर माह तक आने के अनुमान हैं। इस बार भी मध्य प्रदेश को लगातार दूसरी बार टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने की उम्मीदें हैं। अभी मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 526 टाइगर हैं। मध्य प्रदेश अभयारण्यों में भी टाइगर की संख्या बहुतायत में हैं। सबसे ज्यादा समृद्ध बांधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व माने जाते हैं जिसमें से कान्हा में करीब 118 टाइगर हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व में भी करीब 57 टाइगर हैं ।हाल में चल रही गणना के बाद इसकी संख्या में इजाफा होने की संभावना जताई जा रही है ।
प्रदेश का टाइगर रिजर्व प्रबंधन देश में सबसे अच्छा
पेंच टाइगर रिजर्व के प्रबंधन को देश में सबसे उत्कृष्ट माना गया है। फ्रंटलाइन स्टाफ को उत्कृष्ट और ऊर्जावान पाया गया है।तो वहीं बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व ने बाघ पर्यटन द्वारा प्राप्त राशि का उपयोग कर ईको विकास समितियों को प्रभावी ढंग से पुनर्जीवित किया है। इसके साथ ही कान्हा टाइगर रिजर्व ने अनूठी प्रबंधन रणनीतियों को अपनाया है। कान्हा-पेंच वन्य-जीव विचरण कारीडोर भारत का पहला ऐसा कारीडोर है, जिसमें कारीडोर का प्रबंधन स्थानीय समुदायों, सरकारी विभागों, अनुसंधान संस्थानों और नागरिक संगठनों द्वारा सामूहिक रूप से किया जाता है। तो वहीं पन्ना टाइगर रिजर्व ने बाघों की आबादी बढ़ाने में पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया है। शून्य से शुरू होकर अब इसमें 25 से 30 बाघ हैं। यह भारत के वन्यजीव संरक्षण के इतिहास में एक अनूठा उदाहरण है।
बुंदेलखंड में खुलेगी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले साल राज्य वन्य प्राणी बोर्ड की बैठक में बाघ प्रदेश के सम्मान को बरकरार रखने के लिए बुंदेलखंड में एक वाइल्ड लाइफ सेंचुरी खोलने की घोषणा की है। उत्तरी सागर में 25 हजार 864 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले समृद्ध जंगल होने से यहाँ पर वन्य जीवों की संख्या तेजी से बढ़ेगी। मध्य प्रदेश के अधिकांश टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या भर चुकी है वहीँ इसके बनने से जहाँ जंगलों की सुरक्षा होगी वहीँ वन्य जीवों को भी नया ठौर मिलेगा।
वन्य जीव संरक्षण और प्रबंधन में अग्रणी प्रदेश
मध्यप्रदेश वन्य जीवों के संरक्षण और प्रबंधन में अग्रणी है। प्रदेश सरकार के समग्र संरक्षण और समुचित प्रबंधन प्रथाओं के माध्यम से यहाँ वन्य जीवों की अनेक प्रजातियों में तेजी से वृद्धि होते देखी जा सकती है, जिनमें हिरन, गिद्धों जैसी अनगिनत जीवों की कई प्रजातियां शामिल हैं जो धरती से विलुप्त होने की कगार पर हैं। मध्यप्रदेश वन विभाग राज्य में वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन के लिए अपने कार्यक्रमों द्वारा जीवों की आमद बढ़ाने और उनके संरक्षण के अपने प्रयासों को लगातार गति देने में लगे हैं। प्रदेश में 9446 गिद्ध मौजूद हैं जो देश में सर्वाधिक है। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट इंडिया द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में सबसे अधिक 1859 घड़ियाल चम्बल अभ्यारण्य में हैं। चार दशक पहले घड़ियालों की संख्या खत्म होने के मुहाने में थी तब दुनिया भर में 200 घडियाल ही बचे थे। इनमें से तब भारत में 96 और चम्बल नदी में 46 घड़ियाल थे। मुरैना जिले के देवरी में स्थापित घड़ियाल प्रजनन केन्द्र में घड़ियालों के अण्डों को सुरक्षित तरीके से हैंचिग की जाती है।
गिद्धों की टैगिंग में अग्रणी मध्य प्रदेश
भारत में पहली बार गिद्धों की जीपीएस टैगिंग मध्य प्रदेश स्थित पन्ना टाइगर रिजर्व में हुई। गिद्धों के रहवास से जुड़ी जानकारी जुटाने की दिशा में इसे अहम पहल माना जा रहा है। गिद्ध टैली मेट्री परियोजना के तहत 25 गिद्धों की टैगिंग हो चुकी है। टेलीमेट्री आधारित परियोजना इस दिशा में सार्थक कदम है।भारत में गिद्धों की 9 प्रजातियां हैं। गिद्ध प्रजाति के संरक्षण में मध्य प्रदेश को अच्छे परिणाम मिले हैं। वर्ष 2021 में गिद्धों बढ़कर 9,446 हो गई है। भारत में उपलब्ध गिद्धों की 9 प्रजातियों में से 3 प्रजाति संकट ग्रस्त है। इनमें से 7 प्रजाति पन्ना टाइगर रिजर्व में उपलब्ध हैं ।
प्रदेश में तितलियों का संसार
जैव विविधता से भारी मध्य प्रदेश के जंगलों में रंग बिरंगी तितलियों का भी अनोखा संसार बसा है। रातापानी वन्य अभ्यारण में कुछ समाय पहले विशेषज्ञों की टीम के पैदल गस्त कर 100 से अधिक प्रजाति की दुर्लभ तितलियों को खोजा। पर्यावरण में तितलियों की मौजूदगी प्रदूषण मुक्त प्रदेश का संकेत है। वन्य जीवों की श्रृंखला में हर जीव की तरह तितलियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।