नई दिल्ली। मई 11 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के सभी मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना वाइरस पर 5 वीं बार वीडियो कॉन्फ्रेंस करने जा रहे हैं और इस वीडियो कॉन्फ्रेंस का मुख्य उद्देश्य होगा: क्या भारत को मई 17 के बाद चौथी बार लॉकडाउन बढ़ाना चाहिए? प्रधनमंत्री सभी मुख्यमंत्रियों से विचार विमर्श करेंगे कि 17 मई के बाद लॉकडाउन बढ़ाएँ या ना बढ़ाएँ। निश्चय ही अंतिम फैसला देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही लेना है क्योंकि जिस तरह से कोरोना महामारी ने पूरे देश को अपने गिरफ्त में ले लिया है ऐसी स्थिति में कोरोना पर चिंता और चिंतन दोनों ही जरूरी है।
पाँचवी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 51 दिनों में पांचवीं बार मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करेंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का मकसद एक ही रहा है कि भारत में कोरोना वाइरस महामारी को कैसे रोका जाय लेकिन कोरोना रुकनव का नाम नहीं ले रहा है।
- पाँचवी बार- मई 11, 2020
- चौथी बार – अप्रैल 27, 2020
- तीसरी बार – अप्रैल 11 , 2020
- दूसरी बार – अप्रैल 2 , 2020
- पहली बार – मार्च 20 , 2020
क्या लॉकडाउन मई 17 के बाद चौथी बार बढ़ेगा?
पहला लॉकडाउन: प्रधानमंत्री मोदी ने 21 दिन के लिए मार्च 25 को घोषणा की
दूसरा लॉकडाउन: प्रधानमंत्री मोदी ने अप्रैल 14 को फिर से लॉकडाउन 19 दिन के लिए बढ़ाने की घोषणा की
तीसरा लॉकडाउन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई 3 को खत्म हो रहे लॉकडाउन को फिर से 14 दिन के लिए बढ़ा दिया था
चौथा लॉकडाउन: मई 17 को तीसरा लॉकडाउन खत्म होगा। अहम सवाल है कि क्या प्रधानमंत्री मई 17 के बाद चौथी बार लॉक डाउन बढ़ाएँगे। जिस गति से देश में कोरोना का संक्रामण बढ़ रहा है उससे चिंता होना वाजिब है और इसीलिए इस पर चिंतन जारी है।
इसी संदर्भ में कोरोना पर चिंता और चिंतन को समझने के लिए 4 आंकड़ों को समझना बहुत ही जरूरी है तभी ये पता लगेगा कि 17 मई के बाद चौथी बार लॉकडाउन बढ़ाना चाहिए या नहीं बढ़ाना चाहिए।
पहला आंकड़ा:
निम्नलिखित आंकड़े हैल्थ मिनिस्टरी से लिए गए हैं। आंकड़े साफ साफ स्पष्ट कर रहा है कि कोरोना महामारी भारत में किस तेजी से बढ़ रहा है।
भारत में कोरोना के मामले
- पुष्ट- 67152
- सक्रिय- 44029
- स्वस्थ 20917
- मृत 2206
SOURCE: HEALTH MINISTRY, MAY 11, 2020
दूसरा आंकड़ा:
निम्नलिखित आंकड़े भी हैल्थ मिनिस्टरी से लिए गए हैं। आंकड़े साफ साफ स्पष्ट कर रहा है कि भारत के कुल कोरोना केस के 82.48 फीसदी केस टॉप सात राज्यों में स्थित है। यानि कुल 67152 कोरोना केस में से 55387 केस इन सात राज्यों में है। यदि डैथ रेट को देखें तो कुल 2206 डैथ में से 1841 डैथ इस साथ राज्यों में हुआ है जो कि 83.45 फीसदी से ज्यादा होता है। इन सात राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, तमिलनाडु, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश शामिल है
राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश | कंफर्म्ड केस | मौत |
महाराष्ट्र | 2271 | 832 |
गुजरात | 8194 | 493 |
दिल्ली | 6923 | 73 |
तमिलनाडु | 7204 | 47 |
राजस्थान | 3814 | 107 |
मध्य प्रदेश | 3614 | 215 |
उत्तर प्रदेश | 3467 | 74 |
टोटल | 55387(82.48%) | 1841(83.45%) |
SOURCE: HEALTH MINISTRY, MAY 11, 2020
तीसरा आंकड़ा: निम्नलिखित आंकड़े भी हैल्थ मिनिस्टरी से लिए गए हैं। आंकड़े साफ साफ स्पष्ट कर रहा है कि भारत के इन चार बड़े शहरों मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद और चेन्नई में देश के 45.52 फीसदी कोरोना केस हैं यानि इन चार शहरों में कोरोना के 28652 केस हैं। साथ ही इन चार शहरों का डैथ रेट 42.06 फीसदी है यानि इन चार शहरों में 991 लोगों कि मौत कोरोना से हो चुकी है।
भारत के चार बड़े महानगरों का हाल
शहर | कंफर्म्ड | मौत |
मुंबई | 13739 | 508 |
दिल्ली | 6923 | 73 |
अहमदाबाद | 5818 | 381 |
चेन्नई | 3834 | 29 |
टोटल | 30314(45.06%) | 991(44.78%) |
SOURCE: https://www.covid19india.org/ MAY 11, 2020
चौथा आंकड़ा: निम्नलिखित आंकड़े covid19india.org से लिए गए हैं। आंकड़े साफ साफ स्पष्ट कर रहा है कि मई 3 , 2020 को देश में कोरोना के कुल केस 42778 थे जो एक सप्ताह के बाद यानि मई 10 , 2020 को बढ़कर 67161 हो गया। इसका मतलब ये है कि पिछले एक सप्ताह में 24383 केस बढ़ गया और यदि यही क्रम रहा और इतना ही 24383 केस अगले सप्ताह यानि मई 17, 2020 को बढ़ा तो इसका मतलब कुल केस हो जाएगा 91544 जो अपने आप में ही दराबना दिखा रहा है। हालांकि ये आंकड़ा निश्चित नहीं है बल्कि एक पूर्वानुमान है जो सही भी हो सकता है और गलत भी हो सकता है लेकिन इसके संकेत को नकारा नहीं जा सकता है।
तारीख | कंफर्म्ड केस | वन वीक में बढ़ोतरी |
3 मई, 2020 | 42778 | |
10 मई 2020 | 67161 | +24383 |
17 मई 2020 | 91544 | (67161+24383) संभावित |
आखिर क्या कहते हैं आंकड़े और विश्लेषण?
अब सबसे महत्वपूर्ण सवाल उठता है कि क्या भारत को 17 मई के बाद चौथी बार लॉकडाउन बढ़ाना चाहिए?
पहला, उपरोक्त चार आंकड़ों का विश्लेषण कहता है कि लॉकडाउन को पूरी तरह से खत्म करना खतरनाक साबित हो सकता है।
दूसरा, पूरी दुनियाँ के डॉक्टर और वैज्ञानिक भारत के लॉकडाउन के निर्णय को निर्णायक मानते रहे हैं और उनका मानना है कि यदि भारत में कोरोना महामारी का अमेरिकी या इटली या स्पेन जैसी स्थिति नहीं बनी है तो इसका सबसे बड़ा कारण है लॉकडाउन और सोश्ल दिस्टंसिंग। इसलिए लॉकडाउन के फायदे को पूरी तरह से ख़ारिज करना खतरे से खाली नहीं होगा।
तीसरा, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि जून और जुलाई महीनों में कोरोनावायरस का संक्रमण अपने चरम पर पहुंच सकता है। इस दौरान संक्रमण के सबसे ज्यादा केस सामने आएंगे। उनका कहना है कि मौजूदा डाटा और जिस तरह से केस बढ़ रहे हैं, उनके हिसाब से जून-जुलाई में संक्रमण सबसे तेज हो सकता है, लेकिन इसे प्रभावित करने वाले भी कई फैक्टर हैं। वक्त बीतने पर ही हम यह जान सकते हैं कि यह फैक्टर कितने प्रभावी हैं और लॉकडाउन की सीमा बढ़ाए जाने का क्या फायदा हुआ है। इसलिए हमें लॉकडाउन के मामले में काफी सोच समझ कर निर्णय लेना चाहिए।
चौथा, एक बात जरूर है कि लॉकडाउन से कोरोना जैसे महामारी को रोकने में सफलता तो मिलती हुई दिख रही है लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर कब तक देश के लोगों और देश की इकॉनमी को लॉकडाउन करके रखा जाएगा क्योंकि सुदृढ़ और सबल इकॉनमी के बिना सबा अरब देशवासी को कब तक लॉकडाउन करके रखेंगे और जिसका परिणाम सामने दिखने लगा है।
पाँचवाँ, लॉकडाउन के 51 दिन हो चुके हैं और देश के अनगिनत मजदूर वर्ग अपना धैर्य खो रहा है क्योंकि आखिर बिना नौकरी के ये लोग अपने और अपने परिवार को जीवित कैसे रख पाएंगे। इसलिए पूरे देश में मजदूरों का एक राज्य से दूसरे राज्य में पलायन अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। सरकार और समाज दोनों को इस गंभीर समस्या को बारीकी से सोचना होगा क्योंकि ऐसा न हो कि कोरोना से जीतने लोग मरेंगे कहीं उससे ज्यादे भूख और गरीबी से मर जाएँ। इसलिए लॉकडाउन के निर्णय पर विचार कराते समय इस समस्या पर गंभीरता से विचार करना निहायत जरूरी है।
छठा वैसे अंतिम फैसला तो सरकार का ही होता है और होना भी चाहिए क्योंकि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाँचवी बार देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ कोरोना पर बात विचार कर रहे हैं और उस विचार विमर्श में भारत और भारत की जनता केंद्र में होगी क्योंकि किसी भी सरकार के लिए देश के जनमानस का कल्याण ही अंतिम उद्देश्य होता है और होना भी चाहिए। देश भी सुरक्षित रहे, देश के लोग भी सुरक्षितरहे, इकॉनमी भी सुरक्षित रहे और यही उद्देश्य सरकार और समाज दोनों का होना चाहिए।
(लेखक बीरेंद्र चौधरी टाइम्स नाउ में न्यूज एडिटर हैं।)