उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में आज लगातार दूसरे दिन सर्वे हो रहा है। श्रृंगार गौरी मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के संबंध में कोर्ट द्वारा नियुक्त आयुक्त द्वारा मस्जिद का सर्वेक्षण किया जा रहा है। मौके पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। सुरक्षा के 3 घेरे बनाए गए हैं। पहला घेरा CRPF का है, दूसरा घेरा PAC का है और तीसरा घेरा UP पुलिस का है। आज जिस जगह की वीडियोग्राफी की जा रही है वो काफी अहम है क्योंकि आज जो सबूत जुटाए जाएंगे, उसी के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी और परिसर का स्वरूप तय करने के फैसले में कोर्ट को मदद मिलेगी। वहीं कोर्ट कमिश्नर बदलने को लेकर दायर याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत ने कोर्ट कमीशनर अजय मिश्रा और मुस्लिम पक्ष से जवाब भी मांगा है। अब इस मामले में 9 मई को सुनवाई की जाएगी। मुस्लिम पक्ष के वकील ने कोर्ट कमिश्नर के खिलाफ याचिका दायर की थी और बदलने की मांग की थी। मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट कमिश्नर पर पक्षपात करने का आरोप भी लगाया है।
अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के एडवोकेट रईद अहमद ने कहा कि हमने (अदालत) आयुक्त के खिलाफ एक आवेदन दायर किया क्योंकि वह पक्षपाती हैं और उन्हें हटाया जाना चाहिए। कोर्ट अर्जी पर सुनवाई करेगी और उसके आदेशों का पालन किया जाएगा। वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि आयोग की कार्यवाही के बाद यदि कोई गलत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है या इसे समय से पहले प्रस्तुत किया जाता है, तो विपरीत पक्ष इस पर आपत्ति कर सकता है और अदालत इस पर विचार करेगी। लेकिन अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के आवेदन का डीजीसी सिविल ने विरोध किया है। आवेदन को दुर्भावनापूर्ण कहा गया है और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए। आदेश अभी तक सुरक्षित है।
कोर्ट कमिश्नर परिसर के भीतर जाकर मंदिर होने के सबूतों की जांच करेगा। मुस्लिम पक्षकारों ने मस्जिद में वीडियोग्राफी का विरोध किया है। मस्जिद की दीवारों को कुरेदने पर भी आपत्ति दर्ज कराई है। कल सर्वे टीम मस्जिद परिसर के अंदर नहीं गई थी। कल श्रृंगार गौरी चबूतरे की वीडियोग्राफी की गई थी। मस्जिद के बाहर की भी वीडियोग्राफी की गई थी।
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इस बीच ज्ञानवापी सर्वे को लेकर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए हैं। ओवैसी ने फिर दोहराया कि मस्जिद में सर्वे कराने का कोर्ट का फैसला असंवैधानिक है। ओवैसी के मुताबिक सर्वे का फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। ओवैसी ने बीजेपी पर नफरत की राजनीति का आरोप लगाया है। ओवैसी ने कहा कि सरकार को इस पर संवैधानिक कदम उठाने थे, लेकिन सरकार खामोश है। ओवैसी ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि लोअर कोर्ट को सर्वे के आदेश का अधिकार नहीं है, ये 1991 एक्ट का उल्लंघन हो रहा है।
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