- अफगानिस्तान से 89 लोगों को लेकर एक भारतीय विमान दिल्ली पहुंचा
- काबुल से दिल्ली लौटे लोगों में 87 भारतीय और दो नेपाली नागरिक हैं
- यात्रियों ने अफगानिस्तान में दहशत व अराजकता के माहौल को बयां किया है
नई दिल्ली : अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से हर तरफ डर और अफरातफरी का माहौल है। काबुल एयरपोर्ट से लगातार सामने आ रही तस्वीरें बयां करती हैं कि लोग किस दहशत में हैं और जान बचाने के लिए कैसे अपने ही मुल्क को छोड़कर जाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। इसी क्रम में 87 भारतीय और दो नेपाली नागरिकों को लेकर एक भारतीय विमान शनिवार देर रात दिल्ली पहुंचा, जब यात्रियों ने अफगानिस्तान में डर व अराजकता के माहौल को बयां किया।
अफगानिस्तान से लौटे शख्स दीपेन शेरपा ने बताया कि तालिबान किस तरह वहां लोगों पर कहर ढा रहा है और कैसे भय व दहशत के माहौल के बीच यहां एक-एक पल गुजारना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा, 'अफगानिस्तान में लोगों के लिए हालात बेहद खराब हैं। हर तरफ गोलीबारी और बमबारी होती रहती है। तालिबान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। वे लोगों को पीट रहे हैं। हम डर के माहौल में जी रहे थे।'
अफगानिस्तान में तालिबान का भय
तालिबान से खौफजदा लोग अफगानिस्तान से किसी भी हाल में निकल जाना चाहते हैं। हर देश यह सुनिश्चित करने में लगा है कि वह अपने नागरिकों को सुरक्षित वहां से निकाल सके। भारतीय विमान इसी कोशिश के तहत 89 लोगों को लेकर दिल्ली लौटा, जब लोगों के सब्र का बांध टूट पड़ा। भारत की सरजमीं पर लौटकर उन्होंने एक तरह का सुकून महसूस किया तो तबाही का जो मंजर बीते कुछ दिनों में उन्होंने देखा, वह जख्म भी उन्हें सालता रहा।
भारत न केवल अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकाल रहा है, बल्कि उन लोगों की मदद के लिए भी आगे आया है, जो अफगानिस्तान से निकलना चाहते हैं। अफगान सिखों, बौद्धों व अन्य अल्पसंख्यकों को भी भारत मदद मुहैया करा रहा है और इसी के तहत अफगान सांसद नरेंदर खालसा जब मीडिया से मुखातिब हुए तो यह कहते हुए उनका गल भर आया कि वहां पीढ़ियों से रहने के बाद भी अब उनके लिए कुछ नहीं बचा है।
यहां उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान ने 15 अगस्त को कब्जा कर लिया था, जिसके बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर फरार हो गए तो काबुल एयरपोर्ट पर लोगों की भारी भीड़ जुटनी शुरू हो गई, जो किसी भी तरह इस संकटग्रस्त मुल्क से निकल जाना चाहते थे।