- कृषि कानूनों को बिना शर्त वापस लिया जाए: सोनिया
- पहली बार ऐसी अहंकारी सरकार सत्ता में है: कांग्रेस अध्यक्ष
- आंदोलन को लेकर सरकार की बेरुखी के चलते अब तक 50 से अधिक किसान जान गंवा चुके हैं: सोनिया गांधी
नई दिल्ली: कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रदर्शनकारी किसानों की हालत पर और उन्हें लेकर सरकार के रुख पर अपनी भावनाएं जाहिर की हैं। उन्होंने लिखा है कि देशवासियों के साथ-साथ मेरा मन भी अन्नदाताओं की हालत देखकर व्यथित है। मोदी सरकार को याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र का मतलब है जनता और किसानों के हितों की रक्षा करना।
सोनिया गांधी ने लिखा, 'हाड कंपकपाती ठंड और बरसात में दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मांगों के समर्थन में 39 दिनों से संघर्ष कर रहे अन्नदाताओं की हालत देखकर देशवासियों सहित मेरा मन भी बहुत व्यथित है। आंदोलन को लेकर सरकार की बेरुखी के चलते अब तक 50 से अधिक किसान जान गंवा चुके हैं। कुछ ने तो सरकार की उपेक्षा के चलते आत्महत्या जैसा कदम भी उठा लिया। पर बेरहम मोदी सरकार न तो दिल पसीजा और न ही आज तक प्रधानमंत्री या किसी भी मंत्री के मुंह से सांत्वना का एक शब्द निकला।'
मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने लिखा, 'आजादी के बाद देश के इतिहास की यह पहली ऐसी अंहकारी सरकार सत्ता में आई है जिसे आम जनता तो दूर, देश का पेट भरने वाले अन्नदाताओं की पीड़ा और संघर्ष भी दिखाई नहीं दे रहा। लगता है कि मुठ्ठी भर उद्योगपति और उनका मुनाफा सुनिश्चित करना ही इस सरकार का मुख्य एजेंडा बनकर रह गया है।'
कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे लिखा है कि अब यह बिल्कुल साफ है कि मौजूदा केंद्र सरकार की 'थकाओ और भगाओ' की नीति के सामने आंदोलनकारी धरती पुत्र किसान-मजदूर घुटने टेकने वाले नहीं हैं। अब भी समय है कि मोदी सरकार सत्ता का अंहकार छोड़कर तत्काल बिना शर्त तीनों काले कानून वापस ले और ठंड में दम तोड़ रहे किसानों का आंदोलन समाप्त कराए। यही राजधर्म है और दिवंगत किसानों के प्रति श्रद्धांजलि भी।