- पीठ ने यह भी कहा कि कोई भी अदालत कानून बनाने के लिए संसद को कोई निर्देश जारी नहीं कर सकती है ।
- याचिका में कहा गया है कि केंद्र वक्फ और वक्फ संपत्तियों के लिए अलग कानून नहीं बना सकता।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में नीति-निर्देशक तत्वों के तहत यूनिफॉर्म सिविल कोड का प्रावधान किया गया है।
Uniform Civil Code: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यूनीफॉर्म सिविल कोड पर दायर एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह निर्देश देने और घोषित करने की मांग की गई थी कि केंद्र ट्रस्ट और ट्रस्टियों, चैरिटी और चैरिटी इंस्टीट्यूशंस , और धार्मिक संस्थानों के लिए ही केवल एक समान कानून (Uniform Law) बना सकता है। हालांकि, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता को कहा कि वह मौजूदा कानून के आधार किसी उपाय को सुझाने के लिए स्वतंत्र है।
कोर्ट ने क्या कहा
पीठ ने यह भी कहा कि कोई भी अदालत कानून बनाने के लिए संसद को कोई निर्देश जारी नहीं कर सकती है । याचिकाकर्ता सभी ट्रस्टों के लिए एक समान कानून की मांग कर रहा है, जो संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है, और अदालत सीधे इस पहलू पर नहीं जा सकती है। इसके बाद याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी याचिका वापस ले ली।
क्या थी याचिका
याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा था कि अनुच्छेद 14-15 के अनुरूप सातवीं अनुसूची की लिस्ट-2 सातवीं के आइटम 10 और 28 में उल्लिखित है कि केंद्र केवल ट्रस्ट और ट्रस्टी, धर्मार्थ और धर्मार्थ संस्थानों, और धार्मिक बंदोबस्ती और संस्थानों के लिए एक समान कानून बना सकता है। ऐसे में केंद्र वक्फ और वक्फ संपत्तियों के लिए अलग कानून नहीं बना सकता।
इसके अलावा याचिका में कहा गया था कि वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 4, 5, 6, 7, 8, 9 स्पष्ट रूप से मनमाना, तर्कहीन और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14-15 का उल्लंघन है। इसलिए निरस्त किया जाय और दो समुदायों के बीच धार्मिक संपत्तियों से संबंधित विवाद का निर्णय सिविल कोर्ट द्वारा केवल सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 9 के तहत किया जाएगा, न कि ट्रिब्यूनल द्वारा फैसला किया जाए।
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क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में नीति-निर्देशक तत्वों के तहत यूनिफॉर्म सिविल कोड का प्रावधान किया गया है। जिसे कहा गया है कि राज्य यानी भारत सरकार 'भारत के पूरे भू-भाग में अपने नागरिकों के लिए एक यूनिफॉर्म सिविल कोड सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा।' भाजपा इसी आधार पर यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की बात कहती है।
अभी भारत में क्रिमिनल कानून सभी नागरिकों के लिए समान है । लेकिन परिवार और संपत्ति के बंटवारे के लिए नियम धर्मों के आधार पर अलग-अलग हैं। फिलहाल भारत में हिंदू विवाह अधिनियम-1955, मुस्लिम पर्सनल कानून, भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम- 1956, इसी तरह ईसाई और पारसी समुदाय आदि से जुड़े सिविल कानून हैं।