- लंबे अरसे से सैयद अली शाह गिलानी की तबीयत ठीक नहीं रही है
- बताया जा रहा है कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की गतिविधियों से खुश नहीं हैं गिलानी
- 1993 में कई गुटों को एकजुट कर बनाया गया था हुर्रियत कॉन्फ्रेंस
श्रीनगर : हुर्रियत के वरिष्ठ नेता सैयद अली शाह गिलानी ने ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दे दिया है। 90 वर्षीय नेता के एक प्रवक्ता ने एक ऑडियो संदेश में कहा, 'गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मंच से खुद को पूरी तरफ से अलग कर लिया है।' प्रवक्ता ने बताया कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस छोड़ने के अपने फैसले के पीछे वजह के बारे में बताते हुए गिलानी ने अपने शुभचिंतकों के लिए पत्र लिखा है। गिलानी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से आजीवन चेयरमैन नामित हुए हैं। गिलानी का कहना है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की गतिविधियों की पार्टी की ओर से जांच की जा रही है। पार्टी पर कई आरोप लगे हैं।
1993 में बना हुर्रियत कॉन्फ्रेंस
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सदस्यों को लिखे पत्र में गिलानी ने कहा है कि इसके बाद वह मंच के घटक सदस्यों के भविष्य के आचरण के बारे में किसी भी तरह से जवाबदेह नहीं होंगे। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन 9 मार्च, 1993 को कश्मीर में अलगाववादी दलों के एकजुट राजनीतिक मंच के रूप में किया गया था। बाद में गिलानी ने इससे अलग होकर अपना अलग गुट बनाया।
नजरबंद रहते आए हैं गिलानी
गिलानी कई सालों से घर के भीतर नजरबंद हैं और पिछले कुछ महीनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं रही है। घाटी में गिलानी के समर्थक एवं प्रशंसक बड़ी संख्या में हैं। गिलानी के बंद के आह्वान पर घाटी का जन-जीवन प्रभावित होता रहा है। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद गिलानी का अपने पद से इस्ताफा देना हुर्रियत की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम है।