- तमिलनाडु के स्पीकर का महीने भर पुराना है बयान
- सोशल मीडिया पर टिप्पणी से जुड़ी क्लिप वायरल
- बीजेपी ने मुद्दा बना DMK को बताया- हिंदू विरोधी दल
"अगर कैथलिक ईसाई नहीं होते तो दक्षिण भारत का सूबा तमिलनाडु उत्तर भारत का बिहार बन गया होता।" यह बयान लगभग एक महीने पहले तमिलनाडु विधानसभा के स्पीकर और डीएमके नेता एम अप्पावु ने दिया था, जिस पर सियासी बवाल मच गया है। उन्होंने इस टिप्पणी के जरिए राज्य के विकास का श्रेय ईसाइयों को देने की कोशिश की थी।
दरअसल, 28 जून 2022 को अप्पावु और डीएमके एलएमए इनिगो इरुदयाराज तिरुचिरापल्ली में सेंट पॉल मदरसा के शताब्दी समारोह में थे। कार्यक्रम में अप्पावु ने कहा था, "अगर ईसाई पिता और बहनें नहीं होते तो तमिलनाडु बिहार जैसा होता। कैथलिक पिता और बहनों ने ही मुझे आज इस मुकाम तक पहुंचाने में मदद की। तमिलनाडु सरकार आपकी सरकार है। आपने बनाया है। आपकी प्रार्थना और उपवास ने इस सरकार का गठन किया। कैथलिक ईसाई और ईसाई पिता सामाजिक न्याय और द्रविड़ मॉडल सरकार का मुख्य कारण हैं।"
उनके मुताबिक, "आपको (कैथलिक ईसाई) किसी पर निर्भर होने की जरूरत नहीं है। आप अपनी सभी समस्याओं को सूचीबद्ध करते हैं और सीधे मुख्यमंत्री को दे दें। वह किसी चीज से इन्कार नहीं करेंगे और सब कुछ सुलझा लेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि मुख्यमंत्री जानते हैं कि आप इस सरकार के कारण हैं। यह आपकी सरकार और आपका मुख्यमंत्री है। मैं इसमें आपके साथ हूं। अगर ईसाई हटा दिए जाते हैं तमिलनाडु से विकास नहीं होगा। तमिलनाडु के विकास का मुख्य कारण कैथलिक ईसाई हैं। आज का तमिलनाडु आप पर बना है।"
हालांकि, अप्पावु के इसी भाषण से जुड़ा वीडियो सोशल मीडिया पर हाल-फिलहाल में खूब वायरल हुआ। भाजपा ने द्रमुक पर हमला किया और इस मुद्दे पर तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष की निंदा की। तमिलनाडु भाजपा के राज्य उपाध्यक्ष और प्रवक्ता नारायणन ने सोशल मीडिया का सहारा लिया और अप्पावु को उनके भाषण के लिए घेरा। पूछा- यही डीएमके की धर्मनिरपेक्षता है? अब यह साबित करता है कि द्रमुक एक हिंदू विरोधी पार्टी है।"
इस बीच, अप्पावु ने कथित तौर पर इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए भाजपा की आलोचना की। उन्होंने कहा- मैंने जो कुछ भी बोला वह सिर्फ इतिहास है, उस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।