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Tejasvi Surya: अपने सबसे युवा सांसद को BJP ने दी बड़ी जिम्मेदारी, BJYM के मुखिया बने तेजस्वी सूर्या

Updated Sep 26, 2020 | 16:41 IST

Who is Tejasvi Surya: भारतीय जनता पार्टी ने अपने सबसे युवा सांसद तेजस्वी सूर्या को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी है। जेपी नड्डा ने अपनी टीम में तेजस्वी को युवा मोर्चा का अध्यक्ष नियुक्त किया है।

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अपने सबसे युवा MP तेजस्वी सूर्या को BJP ने दी अहम जिम्मेदारी
मुख्य बातें
  • बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किया अपनी नई टीम का ऐलान
  • नड्डा ने बेंगलुरु साउथ के सांसद तेजस्वी सूर्या को सौंपी भारतीय युवा मोर्चा की कमान
  • 29 साल के तेजस्वी बीजेपी के सबसे युवा सांसद हैं

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने पार्टी पदाधिकारियों की नयी टीम की घोषणा कर दी है। नड्डा ने अपनी टीम में कई नए चेहरों को जगह दी है। बेंगलुरु साउथ से 29 साल के भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या को पार्टी के युवा मोर्चा का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया। तेजस्वी सूर्या पूनम महाजन की जगह लेंगे। इसके अलावा भाजपा ने महासचिवों के रूप में राम माधव, पी मुरलीधर राव, अनिल जैन और सरोज पांडेय की जगह नये चेहरों को मौका दिया। इसके साथ ही भाजपा ने राष्ट्रीय प्रवक्ताओं की संख्या बढ़ाकर 23 कर दी है। राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी को मुख्य प्रवक्ता बनाया गया और वह मीडिया प्रभारी भी बने रहेंगे।

पीएम मोदी भी कर चुके हैं तारीफ

टीम में सबसे बड़ा प्रमोशन किसी का हुआ है तो वह हैं तेजस्वी सूर्या। पेशे से वकील 29 साल के तेजस्वी सूर्या बीजेपी के युवा चेहरे हैं और प्रखर वक्ता भी हैं। तेजस्वी एक शानदार वक्ता होने के साथ-साथ पार्टी के कार्यक्रमों में भी जमकर शिरकत करते हैं। सूर्या राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में रहे हैं और वह इससे पहले बीजेपी के युवा मोर्चे के जनरल सेक्रेटरी भी रहे हैं।

ट्वीटर पर काफी सक्रिय रहने वाले तेजस्वी कर्नाटक हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर चुके हैं। उनकी तारीफ खुद प्रधानमंत्री मोदी भी कर चुके हैं। प्रधानमंत्री ने उनकी तारीफ में कहा था कि आप तो तेजस्वी अर्थात सूर्य के समान हैं। 

लोकसभा में उठाया था ये मुद्दा

हाल ही में लोकसभा सत्र के दौरान तेजस्वी सूर्या ने कहा था कि ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘राष्ट्रवादी रुख’ वाली सामग्रियों को कथित रूप से मनमाने ढंग से कंट्रोल कर रहे हैं और इसमें सरकार को दखल देना चाहिए। तेजस्वी ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया था।  उन्होंने कहा, 'यह न सिर्फ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अतार्किक ढंग से नियंत्रित करने के आधार पर संवैधानिक चुनौती है, बल्कि चुनावों के दौरान गैरकानूनी दखल के समान भी है।’

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