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PM Modi Address to UNGA: यूएन में पीएम मोदी का संबोधन, भारत को कब तक स्थाई सदस्यता के लिए करना पड़ेगा इंतजार

Updated Sep 26, 2020 | 19:03 IST

PM Modi Speech in UN: पीएम नरेंद्र मोदी ने दुनिया के तमाम देशों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के बदलते समय में संयुक्त राष्ट्र संघ की निर्णय वाली बॉडी में बदलाव की जरूरत है।

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नरेंद्र मोदी, पीएम
मुख्य बातें
  • यूएन जनरल असेंबली को पीएम मोदी ने किया संबोधित, स्थाई सदस्यता की पुरजोर मांग की
  • पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना काल में भारत ने हर एक देश को हरसंभव मदद की है।
  • भारत का स्पष्ट मानना है कि 75 साल बाद अब यूएन में व्यापक बदलाव की जरूरत है।

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यूएन की 75वीं वर्षगांठ पर सभी सदस्य देशों को बधाई देते हैं।लेकिन बदलते समय में उसमें बदलाव की जरूरत है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत का किसी भी दूसरे से समझौता किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं रहा है। इसके साथ यह भी कहा कि आतंकवाद ने दुनिया को तबाह कर रहा है और हम सबको यह समझना होगा कि किस तरह से खून की नदियों पर लगाम लगेगा। पीएम मोदी ने कहा कि पिछले आठ और 9 महीने से हम कोरोना का सामना कर रहे हैं। इस संकट काल में भी भारत ने अपनी क्षमता के मुताबिक अलग अलग देशों की मदद की है। उन्होंने यह भी कहा कि 75 साल के बाद हमें यह विचार करना होगा कि भारत को कब तक निर्णय लेने वाली बॉडी से दूर रखा जाएगा। 

संयुक्त राष्ट्र में बदलाव समय की मांग
पीएम मोदी ने कहा कि 1945 की दुनिया अलग थी और आज माहौल बदल गया। यह बात सच  है कि तीसरा विश्वयुद्ध नहीं हुआ । लेकिन यह बात सच है कि दुनिया के अलग अलग हिस्सों ने तबाही देखी है।ऐसे बच्चे जो दुनिया को बेहतर दे सकते हैं आपसी लड़ाई झगड़ों में मारे गाए। आज हम सब पिछले आठ नौ महीने से कोरोना का सामना कर रहे हैं। आज संयुक्त राष्ट्र में बदलाव समय की मांग है।


स्थाई सदस्ता की पुरजोर वकालत
संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव, स्वरूप में बदलाव, आज समय की मांग है। भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के सुधार को लेकर जो प्रक्रिया चल रही है  उसके पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये  प्रक्रिया कभी निर्णायक फैसले पर पहुंच पाएगा। आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के निर्णय लेने की बॉडी से अलग रखा जाएगा।

आखिर निर्णय लेने वाली बॉडी से भारत कब तक अलग रहेगा
एक ऐसा देश, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, एक ऐसा देश, जहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है, एक ऐसा देश, जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अनेकों पंथ हैं, अनेकों विचारधाराएं हैं।जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और वर्षों की गुलामी, दोनों को जिया है, जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है, उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा।

पूरा विश्व हमारे लिये परिवार, यही हमारी संस्कृति
हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। यह हमारी संस्कृति, संस्कार और सोच का हिस्सा है। संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने हमेशा विश्व कल्याण को ही प्राथमिकता दी है।भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, तो वो किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होती। भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है, तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती। हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते।

महामारी के दौर में भी भारत मदद के लिए आगे आया
महामारी  के इस मुश्किल समय में भी भारत की फॉर्मा उद्योग ने 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयां भेजीं हैं।विश्व के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के तौर पर आज मैं वैश्विक समुदाय को एक और आश्वासन देना चाहता हूं। भारत की वैक्सीन और वैक्सीन डिलीवरी क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के लिए काम आएगी।

सभी देशों की साथ लेकर चलना ही भारत की खासियत
विश्व के सब से बड़े लोकतंत्र होने की प्रतिष्ठा और इसके अनुभव को हम विश्व हित के लिए उपयोग करेंगे। हमारा मार्ग जनकल्याण से जगकल्याण का है। भारत की आवाज़ हमेशा शांति, सुरक्षा, और समृद्धि के लिए उठेगी।भारत की आवाज़ मानवता, मानव जाति और मानवीय मूल्यों के दुश्मन- आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, ड्रग्स, मनी लाउंडरिंग के खिलाफ उठेगी।भारत की सांस्कृतिक धरोहर, संस्कार, हजारों वर्षों के अनुभव, हमेशा विकासशील देशों को ताकत देंगे।

रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म पर खास बल
बीते कुछ वर्षों में, Reform-Perform-Transform के मंत्र के साथ भारत ने करोड़ों भारतीयों के जीवन में बड़े बदलाव लाने का काम किया है। ये अनुभव, विश्व के बहुत से देशों के लिए उतने ही उपयोगी हैं, जितने हमारे लिए। सिर्फ 4-5 साल में 400 मिलियन से ज्यादा लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ना आसान नहीं था। लेकिन भारत ने ये करके दिखाया। सिर्फ 4-5 साल में 600 मिलियन लोगों को Open Defecation से मुक्त करना आसान नहीं था। लेकिन भारत ने ये करके दिखाया।

डिजिटल लेनदेन में दुनिया में भारत सबसे आगे
आज भारत डिजिटल ट्रांजेक्शन के मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में है। आज भारत अपने करोड़ों नागरिकों को डिजिटल एक्सेस देकर  सशक्तीकरण और पारदर्शिता सुनिश्चित कर रहा है।आज भारत अपने गांवों के 150 मिलियन घरों में पाइप से पीने का पानी पहुंचाने का अभियान चला रहा है। कुछ दिन पहले ही भारत ने अपने 6 लाख गांवों को ब्रॉडबैंड ऑप्टिकल फाइबर से कनेक्ट करने की बहुत बड़ी योजना की शुरुआत की है।

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