नई दिल्ली: चीन से दुनिया भर में फैला कोरोना वायरस महामारी की चपेट भारत भी आया और यह तेजी से फैलने लगा। इसको रोकने के लिए सरकार ने 25 मार्च को 21 दिनों के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया। लेकिन संक्रमितों की संख्या बढ़ने से इस अवधि बढ़ाकर 17 मई तक कर दी गई। इस लॉकडाउन से देशभर में करोड़ों मजदूरों और कामगारों के लिए संकट में फंस गए।
उनके पास न तो काम रहा नहीं जीवन जीने के लिए पैसे बचे। विभिन्न इलाकों में फंसे मजदूर अपने घर जाना चाहते हैं और इसके लिए वो कितना भी बड़ा रिस्क उठाने को तैयार हैं, ऐसे ही प्रवासी मजदूर के परिवार की व्यथा विचलित कर देगी।
वहीं बात राजधानी दिल्ली की करें तो यहां से कई श्रमिक स्पेशल ट्रेनें विभिन्न राज्यों के लिए चलाई जा रही हैं।नई दिल्ली से डिब्रूगढ़, अगरतला, हावड़ा, पटना, बिलासपुर, रांची, भुवनेश्वर, सिकंदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, मडगांव, मुंबई सेंट्रल, अहमदाबाद, जम्मू तवी के लिए ट्रेनें चलेंगी। लेकिन रेलवे स्टेशन पर पहुंचे यात्रियों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
लॉकडाउन के बीच विशेष ट्रेनों की रवानगी के बारे में जानकारी मिलने के बाद बड़ी संख्या में लोग रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए हैं। हालांकि रेलवे की ओर से साफ किया गया है कि टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग ही होगी, लेकिन बहुत से लोगों को इसकी जानकारी नहीं है, जबकि कुछ लोग ऑनलाइन टिकट नहीं हो पाने से भी परेशान हैं। रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों की भीड़ देखी जा रही है, जो इधर-उधर भटक रहे हैं।
ऐसे ही एक शख्स ने बताया, 'मुझे अपने घर (बिहार) जाना है, यहां न ही कुछ खाने को मिल रहा न ही टिकट मिल रहा और न ही ऑनलाइन टिकट हो रहा, हम कैसे अपने गांव जाएंगे? यहां पर टिकट देने वाला ही कोई नहीं है।'
'वे कहते हैं, हम कोरोना लेकर आए हैं'
ऐसे ही एक वाकया यूपी के गोंडा जिले का है, जहां कई कामगार पिछले दिनों मुंबई से पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर इस उम्मीद में अपने गांव पहुंचे कि यहां अपने गांव और घर वालों के साथ सुरक्षित रहते हुए सुकूनभरा पल बिता सकेंगे। लेकिन ग्राीमणों ने उन्हें बाहर ही रोक दिया और अब वे खुले में क्वारंटीन का वक्त बिता रहे हैं।
ऐसे ही लोगों में से एक राम तीर्थ यादव ने बताया, 'मुंबई से गोंडा आने में हमें 10 दिनों का वक्त लगा। कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन के बीच हम यहां अपने घरों में सुरक्षित रहने की उम्मीद लेकर आए थे। लेकिन यहां पहुंचने पर ग्रामीणों ने हमारे लिए अपने दरवाजे बंद कर लिए। वे कहते हैं कि हम कोरोना वायरस लेकर आए हैं।'