नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की जीभ काटने के लिए कथित तौर पर 1 करोड़ रुपए का इनाम देने वाले व्यक्ति को जमानत दे दी। आरोपी, जिसे भीम सेना का प्रमुख बताया जाता है। उसने कथित तौर पर इस संबंध में एक ट्वीट पोस्ट किया था। पटियाला हाउस कोर्ट ने शनिवार को आरोपी सतपाल तंवर को यह कहते हुए जमानत दे दी कि कथित वीडियो देखे बिना एफआईआर दर्ज की गई थी और अर्नेश कुमार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश का पालन नहीं किया गया था।
ड्यूटी मजिस्ट्रेट देव सरोजा ने 50 हजार रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि के बॉन्ड पर जमानत दे दी। कोर्ट ने आरोपी को जमानत देते हुए कई शर्तें लगाई हैं। कोर्ट ने कहा कि केस डायरी के अवलोकन से पता चलता है कि पहले 9 जून को FIR दर्ज की गई थी, और वीडियो का विश्लेषण करने के बाद धारा 153 ए (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) को बाद में जोड़ा गया था। यह दर्शाता है कि FIR दर्ज करने में जल्दबाजी की गई थी।
आरोपी सतपाल तंवर के वकील एडवोकेट महमूद प्राचा ने प्रस्तुत किया कि आरोपी को इस मामले में झूठा फंसाया गया था और 16 जून, 2022 को उसकी गिरफ्तारी के बाद उसे शारीरिक यातना दी गई थी। इसलिए आरोपी को आरएमएल अस्पताल में भर्ती कराया गया। आरोपी के वकील ने यह भी कहा कि आरोपी की मेडिकल स्थिति ऐसी है कि अगर वह हिरासत में रहा तो उसकी मौत होने की सबसे अधिक संभावना है। वह बीमार और कमजोर है, इसलिए वह जमानत पर रिहा होने के योग्य है।
उसने कोर्ट को एक वीडियो भी दिखाया जिसमें आरोपी को अस्पताल में जंजीर में बांधकर देखा जा सकता है। धारा 153A के तहत अपराध करने पर 3 साल कैद की सजा हो सकती है। इसके बावजूद, अर्नेश कुमार मामले में शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार आरोपी को गिरफ्तारी का पूर्व नोटिस नहीं दिया गया था।
दूसरी ओर, अभियोजन पक्ष ने इस आधार पर जमानत अर्जी का विरोध किया कि जांच प्रारंभिक चरण में है और आरोपियों के खिलाफ आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पूरा वीडियो देखने के बाद एफआईआर में धारा 153A जोड़ी गई। आरोपी का मोबाइल और असली वीडियो बरामद करने के लिए आरोपी की जमानत अर्जी खारिज की जाए। उन्होंने आगे कहा कि नोटिस की तामील नहीं की गई क्योंकि आरोपी के पते की पुष्टि नहीं की जा सकी।