नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट ने भारत की जनगणना 2021 के संचालन और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने की मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इसके लिए किसी प्रकार के दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी। किसी सबूत की जरूरत नहीं होगी। यह स्वयं घोषित स्वरूप का होगा। इसके लिए एक मोबाइल एप भी बनाया गया है।
कैबिनेट ने भारत की जनगणना 2021 की कवायद के लिए 8,754.23 करोड़ रुपए के खर्च को मंजूरी दी गई। वहीं एनपीआर के उन्नयन के लिए 3,941.35 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है।
इस दौरान NRC के जवाब पर जावड़ेकर ने कहा, 'हमने कभी नहीं कहा है कि एनपीआर का उपयोग एनआरसी (नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर) के रूप में किया जाएगा। मैं पूरी तरह से इनकार करता हूं।' भारत सरकार द्वारा ये भी स्पष्ट किया गया कि वर्तमान में एनपीआर के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर राष्ट्रव्यापी एनआरसी लागू करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
इससे पहले रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा था, 'नागरिकता कानून या प्रस्तावित एनआरसी का भारतीय मुस्लिमों से कुछ लेना देना नहीं है। उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। एनआरसी पर न तो उनकी सरकार ने, ना ही कैबिनेट या संसद ने चर्चा की है।'
मोदी ने इस बात का जिक्र किया कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब तक सिर्फ असम में कराया गया है। एनआरसी के बारे में झूठ फैलाया जा रहा है।
इसके बाद विरोधियों का कहना है कि राष्ट्रव्यापी एनआरसी पर मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बयान विरोधाभासी हैं। अमित शाह कई मौकों पर कह चुके हैं कि असम की तरह पूरे देश में एनआरसी लागू किया जाएगा। शाह ने लोकसभा में भी राष्ट्रव्यापी एनआरसी की बात कही।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि एनआरसी पर प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह विरोधाभासी बयान दे रहे हैं। साथ ही ममता ने हैरत जताई कि आखिर कौन सच बोल रहा है। वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि एनआरसी पर मोदी की टिप्पणियों से हैरान हूं।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, 'साहेब दिल्ली में बोलते हैं कि एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं हुई, पर 28 नवंबर को झारखंड चुनाव के घोषणापत्र में भाजपा एनआरसी लागू करने का वायदा करती है। अब दो बातें बताएं- पहली कि क्या प्रधानमंत्री और गृह मंत्री में सामंजस्य नहीं है? दूसरी बात यह कि क्या सत्ता और संगठन के बीच खट-पट है या दोनों मिल कर देश का बेवकूफ बना रहे हैं?'
एनआरसी पर पीएम मोदी की टिप्पणी से यह संकेत भी उभरते हैं कि इस विवादास्पद मुद्दे के खिलाफ हो रहे व्यापक प्रदर्शन के मद्देनजर उनकी सरकार अपने कदम पीछे खींच सकती है और इसे फिलहाल ठंडे बस्ते में डाले जाने की संभावना है।