- दिल्ली में सबसे ज्यादा 54 हजार लोग वायु प्रदूषण का शिकार बने हैं।
- इसके अलावा मुंबई, बंगलुरू, चेन्नई, लखनऊ में लोगों को वायु प्रदूषण की वजह से जान गंवानी पड़ी है।
- प्रदूषण की वजह से लोगों में अस्थमा अटैक, स्ट्रोक और कैंसर का खतरा बढ़ गया है।
Delhi Air Pollution: बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में कई तरह की पाबंदियां लगा दी गई हैं। इसके तहत दिल्ली-एनसीआर में स्कूल, कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है। साथ ही ऑफिस, कंस्ट्रक्शन के काम और ट्रकों की आवाजाही पर भी सख्ती की गई है। साफ है कि प्रदूषण जानलेवा बनता जा रहा है। वायु प्रदूषण की वजह से साल 2020 में देश के 5 शहरों में 1.19 लाख से ज्यादा लोगों ने जान गंवाई है। और इस साल अकेले एनसीआर में वायु प्रदूषण समस्याओं की वजह से मरीजों की संख्या में 100 फीसदी का इजाफा हो गया है।
दिल्ली में 54 हजार मौतें
ग्रीन पीस 2020 की रिपोर्ट के अनुसार देश में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली में मौतें हुईं। इस दौरान दिल्ली में 54 हजार लोगों की वायु प्रदूषण (PM 2.5 Air Pollution) की वजह से हुई बीमारियों के कारण मौतें हुईं। इसके बाद मुंबई में 25 हजार, बंगलुरू में 12 हजार, हैदराबाद में 11 हजार, चेन्नई में 11 हजार और लखनऊ में 6700 लोगों की मौतें हुईं । रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन होने के बावजूद दिल्ली में 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों की तुलना में वायु प्रदूषण का स्तर 6 गुना ज्यादा था।
इस बार भी हालात खराब
लोकल सर्किल की 16 नवंबर को जारी रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली-एनसीआर के लोग पिछले 2 हफ्तों से जहरीली हवा का सामना कर रहे हैं। दिल्ली, गुरूग्राम, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद में AQI स्तर 300-1000 के स्तर तक पहुंच गया है। सर्वे हफ्तों के आधार पर किया गया। यानी पहले हफ्ते में पाया गया कि हर 5 परिवारों में से 4 परिवारों के लोगों को प्रदूषण की वजह बीमारियों का सामना करना पड़ा है। और 22 फीसदी लोगों को डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाना पड़ा। लेकिन दूसरे हफ्ते में स्थिति और गंभीर हो गई और करीब 44 फीसदी लोगों ने बताया कि उन्हें या उनके परिवार में किसी को वायु प्रदूषण की वजह से डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाना पड़ा।
किन बीमारियों का सामना कर रहे हैं लोग
लोकल सर्किल के सर्वे के अनुसार लोगों को सबसे ज्यादा गले में खरास, कफ, जकड़न, आखों में जलन का सामना करना पड़ रहा है। इसके बाद सांस लेने में दिक्कत और सिर में दर्द और कम नींद आनी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। लोकल सर्किल के सर्वे ने दिल्ली-एनसीआर में यह सर्वे 25 हजार लोगों पर किया है।
स्थिति गंभीर होने पर लोगों में अस्थमा अटैक, कैंसर और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है।
इन चीजों से दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा प्रदूषण
सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च 2017 की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में सबसे ज्यादा वाहनों से 30 फीसदी तक प्रदूषण होता है। उसके बाद बॉयोमॉस से 20 फीसदी, मिट्टी और धूल से 20 फीसदी, उद्योगों से 15 फीसदी, खुले में वेस्ट जलाने से 15 फीसदी, डीजल जेनरेटर से 10 फीसदी तक, पॉवर प्लांट से 5 फीसदी तक और शहर के बाहर से होने वाले प्रदूषण की 30 फीसदी तक हिस्सेदारी है।
क्या उठाए गए कदम
- बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में सभी सरकारी और निजी स्कूल, कॉलेज आदि अगले आदेश तक बंद रहेंगे। इस दौरान केवल ऑनलाइन पढ़ाई होगी।
- इसके अलावा दिल्ली के 300 किमी के दायरे में आने वाले 11 में से 6 थर्मल पावर प्लांट 30 नवंबर बंद करने का फैसला किया गया है ।
- 21 नवंबर तक सरकारी और निजी दफ्तरों में काम करने वाले 50 फीसदी कर्मचारियों को ही आने की अनुमति होगी।
- सभी तरह की कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी पर भी रोक लगा दी गई है। इस दौरान केवल मेट्रो, रेलवे, एयरपोर्ट और बस टर्मिनल, रक्षा से जुड़ी कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी जारी रहेगी। दिल्ली में ट्रकों की एंट्री पर भी 21 नवंबर तक रोक लगा दी गई है।