- सोशल डिस्टेंसिंग और कड़ाई से लॉकडाउन के भारतीय कदमों की दुनिया ने की तारीफ
- भारत सरकार ने तीन मई तक लॉकडाउन को बढ़ाने का फैसला किया है
- इस दौरान सार्वजनिक परिवहन के साधनों पर पूरी तरह रहेगी पाबंदी
नई दिल्ली। वो अनजाना तो नहीं लेकिन अनदेखा है, शक्ल और सूरत कैसी है किसी को पता नहीं। लेकिन दुनिया के 196 मुल्कों को घुटनों के बल ला दिया है। उसे मारने के लिए एक अदद दवा की जरूरत है। पूरी दुनिया हैरान है कि अब क्या होगा। अलग अलग तरह से इस कोरोना नाम के वायरस से निपटने की कवायद जारी है। लेकिन अमेरिका, इटली, स्पेन, फ्रांस और ब्रिटेन समेत दूसरे मुल्कों को देखें तो वो हैरान और परेशान हैं। अगर भारत की अमेरिका से तुलना करें तो संसाधन के मामले में हम पीछे हैं। लेकिन कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जिस तरह देश आगे बढ़ा, केंद्र और राज्य सरकारों ने फैसला लिया वो उन देशों के लिए नजीर है
दूसरे देशों की तुलना में कोरोना के कम मामले
यह बात सच है कि भारत में कोरोना के मामलों में इजाफा हुआ है। लेकिन दूसरे मुल्कों से तुलना करें तो यह बेहद कम है। आज की तारीख में अब तर 10 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं लेकिन 130 करोड़ जनता से इसकी तुलना करें तो इसका अनुपात बेहद कम है। ठीक वैसे ही संक्रमित लोगों में मरने वालों की संख्या करीब 3 फीसद है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की सीमा में ही है। अब सवाल यह है कि भारत ने वो कौन से मुख्य फैसले किए जिसकी वजह से दुनिया हमें सराह रही है। इसके लिए आंकड़ों और प्रयासों को देखना होगा।
सोशल डिस्टेंसिंग का फायदा मिला
भारत में कोरोना का पुख्ता मामला मार्च के पहले हफ्ते में आया था। इस वायरस रूपी संकट के आने के बाद केंद्र सरकार की तरफ से अलग अलग तरह की कोशिश शुरू हुई जैसे संदिग्धों को क्वारंटीन करना, एयरपोर्ट पर आने वालों की थर्मल स्क्रीनिंग शामिल था। करीब दो हफ्ते के बाद पीएम नरेंद्र मोदी 19 मार्च को देश के सामने रूबरू हुए और यह बताया कि कोरोना संकट को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। पिछले दो महीनों में अलग अलग देशों के अनुभवों से जो हमें सीख मिली है वो यह है कि हमें सोशल डिस्टेंसिं का पालन करना होगा। इसका अर्थ यह था कि लोगों को खुद ब खुद एकदूसरे से एक मीटर की दूरी मेंटेंन करनी चाहिए।
लॉकडाउन से कोरोना के प्रसार पर अंकुश लगा
इसके बाद 24 मार्च को पीएम मोदी एक बार फिर लोगों से रूबरू हुए और कहा कि देश एक कड़ा फैसला करने जा रहा है। वो लोगों की तकलीफों को समझते हैं। लेकिन इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है। सरकार ने 24 मार्च को 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया। कुछ लोग सवाल करते हैं कि लॉकडाउन के बाद भी तो मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन जब यह जानकारी सामने आई कि अगर ऐसा न होता तो 15 अप्रैल तक पूरे देश में आठ लाख से ज्यादा मामले होते। इसके साथ ही यह आंकड़ा और कितना आगे बढ़ जाता उसका अंदाजा लगाना मुश्किल होता।