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Rajyasabha Proceedings: संसद परिसर में निलंबित सांसदों का रतजगा कहां तक सही, उपसभापति से की थी बदसलूकी

श्वेता सिंह | सीनियर असिस्टेंट प्रोड्यूसर
Updated Sep 22, 2020 | 12:02 IST

Rajyasabha MP: राज्यसभा में विपक्ष के आठ सांसदों को उनके अशोभनीय व्यवहार की वजह सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने से निलंबित कर दिया गया। लेकिन सांसदों ने संसद परिसर में रतजगा कर विरोध जताया।

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उपसभापति हरिवंश से बदसलूकी मामले में विपक्ष के आठ सांसदों का किया गया था निलंबित
मुख्य बातें
  • कृषि बिल पर विपक्ष के आठ सांसदों ने राज्यसभा के वेल में किया था हंगामा, उपसभापति की माइक पकड़ी
  • आप सांसद संजय सिंह ने मार्शल के साथ बदसलूकी की, डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के चेयर को घेरा
  • विपक्षी सांसदों ने संसदीय नियमावली संबंधित रूल बुक को फाड़ दिया

सांसदों का पूरी रात धरने पर बैठना और सुबह फिर से उप-सभापति का अनादर करना शोभनीय तो नहीं हां, सोचनीय अवश्य है।  कोरोना महामारी में इस साल का संसद का पहला सत्र शुरू हुआ। लोकसभा और राज्य सभा की कार्यवाई इस महामारी के बीच शुरू की गई, लेकिन राज्यसभा के सांसदों ने देश की संसद को शर्मसार करते हुए पहले तो जमकर राज्य सभा के भीतर सदन की गरिमा को ताक पर रखते हुए हंगामा किया और बाद में सदन के उप-सभापति को धमकी तक दे डाली। सांसदों के इस कृत्य के बाद उन्हें राज्य सभा के सभापति वेंकेया नायडू ने निलंबित कर दिया।  

शर्म छोड़ संसद परिसर में गुजारी पूरी रात  
सभापति द्वारा सदन के आठ सांसदों को निलंबित करने के बाद इन सांसदों ने अपने-अपने घर जाने की बजाय पूरी रात संसद परिसर में गुजार दी। वहीं उनका धरना प्रदर्शन शुरू हो गया। उपसभापति से अपने कृत्य पर माफी मांगने की बजाय इन सांसदों ने सारी शर्म-हया छोड़ हो-हल्ला करते रहे।  

सदन के भीतर और बाहर भी हुई उपसभापति की बेईज्जती   
सदन और उपसभापति की गरिमा को धूमिल करने वाले इन सांसदों के लिए उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह सुबह की चाय लेकर पहुंचे। उपसभापति की इज्जत न तो सदन के भीतर रखी गई और न ही सदन के बाहर. यहां भी विपक्षी सांसदों ने चाय पीने से इनकार कर दिया। सांसदों का विरोध तो सदन के भीतर तक रहता है। सदन के बाहर कोई भेद-मतभेद नहीं रह जाता। फिर जब उपसभापति सुबह चाय लेकर पहुंचे भी तो क्या इन सांसदों को इस तरह से जिद्द पर अड़े रहना शोभा देता है।  



क्या इतने नीचे गिर गया है सांसदों का स्तर ? 
सच है सांसदों ने अपनी गरिमा पूरी तरह से खो दी है। सरकार का किसी मुद्दे पर विरोध करना जायज है। किसी भी सरकार में एक मजबूत विपक्ष के होने और सरकार के किसी भी फैसले पर सदन में चर्चा तो लोकतंत्र की गरिमा है। ये दर्शाता है कि देश में सत्ताधारी पार्टी निरंकुश नहीं हो सकती। एक मजबूत और जागरूक विपक्ष देश हित में काम करता है, लेकिन इस तरह से सांसदों को पूरी रात धरने पर बैठे रहना और सुबह फिर से सभापति का अनादर करना शोभनीय तो नहीं हां, शोचनीय अवश्य है।  

दायरे में रहकर विरोध शोभनीय होता है  
लोक सभा और राज्य सभा में जब सांसद बैठते हैं तो न सिर्फ वो देश की जनता को प्रदर्शित करते हैं बल्कि देश के भविष्य और उसकी गरिमा को प्रदर्शित करते हैं। आप सांसद हैं, किसी गली के गुंडे या सड़कछाप नेता नहीं, जिसकी कोई सीमा ही नहीं। इन सांसदों द्वारा की गई हरकत निंदनीय है।  सरकार से विचारों से भिन्नता रखना और उसका विरोध करने के लिए संसद के दोनों सदनों का निर्माण किया गया है। वहां आप अपने विचार रखिए, लेकिन रूलबुक फाड़ना, स्पीकर तोड़ना, उपसभापति को धमकी देना, शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना एक सांसद को शोभा नहीं देता।  

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