यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित वतन वापसी को लेकर आज विदेश मंत्रालय की कंसल्टेटिव कमेटी की बैठक हुई। बैठक में विदेश मंत्री, विदेश सचिव और तीनों राज्य मंत्री के साथ 25 सदस्य मौजूद थे। बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, आनंद शर्मा, शशि थरूर, प्रियंका चतुर्वेदी, प्रेमचंद गुप्ता सहित कई विपक्षी सांसद भी मौजूद रहे। आज की बैठक लगभग ढाई घंटे चली। सरकार की तरफ से बैठक में विदेश मंत्री और विदेश सचिव ने प्रेजेंटेशन देकर सभी सदस्यों को फसे छात्रों के इवैक्युशन प्लान समझाया। वही आज की बैठक में विपक्षी पार्टियों के सांसद सदस्यों ने यूक्रेन संकट पर सरकार के स्टैंड पर अपनी सहमति जताई। हालांकि कुछ सदस्य का ये मानना था की सरकार ने यूक्रेन में फंसे छात्रों को निकालने की प्रक्रिया शुरू करने में देर की। लेकिन सभी विपक्षी दलों ने सरकार द्वारा UNSC और UNGA जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचो पर भारत ने जो रूख दिखाया है उसका समर्थन किया।
राहुल गांधी ने क्या कहा बैठक में
आज की बैठक में शामिल हुए राहुल गांधी ने मोदी सरकार के इवैक्यूशन प्रक्रिया की तारीफ की और कहा कि कांग्रेस पार्टी सरकार के साथ है। राहुल ने कहा कि मौजूदा हालात में अच्छा काम हो रहा है। लेकिन राहुल गांधी ने एक बार फिर सरकार को चीन को लेकर आगाह किया। राहुल ने कहा की यूक्रेन के बहाने रूस, चीन और पाकिस्तान नजदीक आ रहे हैं। राहुल की चिंता का जवाब देते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा की भारत सरकार पूरी हालात पर नजर बनाए हुए है। हालांकि जयशंकर ने ऐसे किसी स्थिति के पैदा होने से इंकार किया। उन्होंने कहा यूक्रेन और भारत की तुलना ठीक नहीं है। भारत यूक्रेन नहीं है।
विदेश मंत्रालय की आज की ब्रीफिंग के बाद कांग्रेस सहित दूसरी विपक्षी पार्टियां सरकार के साथ नजर आ रही हैं। जो राहुल गांधी कल तक यूक्रेन में फंसे छात्रों को लेकर ट्विटर पर बाण चला रहे थे उन्होंने आज सरकार की तारीफ की और साथ देने की बात कही। पिछले कुछ दिनों में सरकार ने भी जिस तरह से ऑपरेशन गंगा के तहत हजारों छात्रों को निकाला है उससे विपक्ष आश्वस्त नजर आ रहा है। विपक्ष के एक नेता ने कहा भारत एक मात्र मुल्क है जिसने अपने वायु सेना भेजकर अपने लोगों को निकाल रहा है।
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विपक्ष इस बात से भी खुश है की मोदी सरकार यूएन में तथस्ट रहने की नेहरू के जमाने से चली आ रही गुटनिरपेक्ष नीति पर ही आगे बढ़ रहा है। आज की बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि भारत को दोनों महाशक्तियों में से किसी एक को चुनने की जरूरत नहीं है। भारत को अपना सामरिक और आर्थिक हित पहले देखना चाहिए।
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