- स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बड़े पैमाने पर, अंधाधुंध और अपूर्ण टीकाकरण को लेकर चेताया है
- पीएम मोदी को भेजी रिपोर्ट में उन्होंने कहा है कि इससे म्यूटेंट स्ट्रेन को बढ़ावा मिल सकता है
- विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि जो कोविड की चपेट में आ चुके हैं, फिलहाल उनके टीकाकरण की आवश्यकता नहीं है
नई दिल्ली : कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ टीकाकरण को बड़ा हथियार बताया जा रहा है और सरकार ने 21 जून से 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के नि:शुल्क टीकाकरण की घोषणा की है। हालांकि इसे लेकर समय-समय पर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय सामने आ रही है, जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति भी देखी जा रही है। अब विशेषज्ञों के एक समूह ने चेताया है कि बड़े पैमाने पर, अंधाधुंध और अपूर्ण टीकाकरण से नए म्यूटेंट स्ट्रेन को बढ़ावा मिल सकता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग संक्रमण से उबर चुके हैं, उनके टीकाकरण की फिलहाल आवश्यकता नहीं हैं।
विशेषज्ञों के इस समूह में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टर भी शामिल हैं। इस समूह का गठन अप्रैल 2020 में कोरोना वायरस महामारी पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार को परामर्श देने के लिए किया गया था। समूह ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है कि व्यापक पैमाने पर टीकाकरण की जगह फिलहाल उन लोगों के टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, जो संवेदनशील और जोखिम श्रेणी में आते हैं।
पीएम मोदी को सौंपी रिपोर्ट
इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (IPHA) और इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रीवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन के विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि देश में महामारी के जो मौजूदा हालात हैं, उसमें सभी आयु समूहों के लिए टीकाकरण को खोलने की जगह हमें महामारी संबंधी आंकड़ों से खुद को निर्देशित करना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कम उम्र के वयस्कों और बच्चों के टीकाकरण के संबंध में फिलहाल वैज्ञानिक साक्ष्य समर्थित नहीं हैं और यह किफायती भी नहीं होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अनियोजित टीकाकरण से वायरस के नए म्यूटेंट स्ट्रेन को बढ़ावा मिल सकता है। जो लोग कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आकर ठीक हो चुके हैं, उनके टीकाकरण की फिलहाल आवश्यकता नहीं है।