- उत्तर प्रदेश में फिर गर्माया चाचा-भतीजा का सियासी विवाद
- दोनों दिग्गजों को चिट्ठी लिख कहा- जहां जाना चाहें, वहां जा सकते हैं आप
- अखिलेश को लेकर कुछ दिनों से हमलावर मोड में थे दोनों नेता
उत्तर प्रदेश में चाचा शिवपाल सिंह यादव और भतीजे अखिलेश यादव की सियासी लड़ाई शनिवार (23 जुलाई, 2022) को और गर्मा गई। दरअसल, समाजवादी पार्टी (सपा) की ओर से दो टूक साफ कर दिया गया कि शिवपाल यादव को अगर लगता है कि उन्हें कहीं और अधिक सम्मान मिलेगा तो वह वहां जाने के लिए आजाद हैं।
यह बात सपा की ओर से एक चिट्ठी जारी कर कही गई। इतना ही नहीं, सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर को कुछ ऐसा भी पैगाम पहुंचाया गया। खत में कहा गया- सपा लगातार बीजेपी के खिलाफ लड़ रही है। बीजेपी के साथ आपका गठजोड़ है और लगातार बीजेपी को आप मजबूत करने का काम कर रहे हैं। अगर आपको लगता है कि आपको कहीं और अधिक सम्मान मिलेगा तो आप वहां जाने के लिए स्वतंत्र हैं।
यूपी से दिल्ली तक के सियासी गलियारों में इन दोनों के कई मायने निकाले जा रहे हैं। खासतौर पर ये खत और भी अहम हो जाते हैं, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से सपा से जुड़े ये दोनों दिग्गज लगातार आक्रामक मोड में नजर आ रहे थे। नाराजगी भरी उनकी टिप्पणियां सपा के खिलाफ दबाव वाली राजनीति का रूप ले चुकी थीं।
शिवपाल और राजभर ने यूं दिया जवाबः
चूंकि, आगे 2024 का चुनाव है। ऐसे में माना जा रहा है कि सपा के इस चिट्ठी वाले कदम के बाद उसके गठबंधन के साथियों पर असर पड़ेगा। राजनीतिक जानकारों की मानें तो इससे गठजोड़ करने वाले संभावित दावेदारों के मनोबल पर असर पड़ सकता है।
राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी बढ़े फासले
राष्ट्रपति चुनाव में चाचा-भतीजे के बीच के फासले बढ़ते नजर आए। शिवपाल ने नडीए की मुर्मू का समर्थन किया। साथ ही दावा किया इस चुनाव में एसपी खेमे से हुए क्रॉस वोटिंग उन्हीं के कहने पर हुई थी। उन्होंने पहले ही साफ कर दिया था कि जिस व्यक्ति (विपक्ष के दावेदार यशवंत सिन्हा) ने मुलायम को आईएसआई एजेंट कहकर उनका अपमान किया, वह उसका समर्थन कैसे कर सकते हैं। वहीं, अखिलेश ने विपक्ष के कैंडिडेट सिन्हा को समर्थन का ऐलान किया था।
यूपी चुनाव के बाद फिर बढ़ी थी खटास
शिवपाल ने साल 2017 के विस चुनाव के बाद अपना अलग दल प्रसपा बना लिया था। वैसे, साल 2022 में यूपी चुनाव के दौरान चाचा और भतीजे के बीच रिश्ते थोड़े ठीक होते दिखे थे, पर चुनावी नतीजों के बाद दूरियां फिर दिखने लगी थीं। आलम यह है कि सपा खुल कर शिवपाल को दूसरे दल का दामन थामने को कह रही है। साथ ही राजभर को भी आड़े हाथों ले रही है। फिलहाल सपा के पत्र पर शिवपाल और राजभर की कोई टिप्पणी नहीं आई है।