राजस्थान में संत के आत्मदाह मामले में गहलोत सरकार चौतरफा घिरती नजर आ रही है। अब एक और कांग्रेस विधायक वाजिब अली ने प्रशासन पर सवाल खड़े किए हैं। विधायक का कहना है कि बाबा विजय दास उन साधुओं में शामिल थे जिन्होंने आत्मदाह की चेतावनी पहले ही दे दी थी। इसके बाद भी उनका खुद को आग लगाना प्रशासन की एक बड़ी चूक है। प्रशासन को साधु संतों से बातचीत करनी चाहिए थी लेकिन प्रशासन ने ऐसा नहीं किया, ये प्रशासन का बहुत बड़ा फेल्योर है। वहीं कांग्रेस विधायक के प्रशासन पर सवाल खड़े करने पर मंत्री प्रताप सिंह खचारियावास का बयान सामने आया है। मंत्री का कहना है कि अगर विधायक प्रशासन की चूक बता रहे हैं तो इसकी जांच की जाएगी।
संत विजय दास की मौत के बाद राजस्थान की सियासत में हंगामा मच गया है। बीजेपी ने सीधे-सीधे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। बीजेपी ने संत की मौत के लिए गहलोत सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। बीजेपी का आरोप है कि गहलोत सरकार माफिया को बचा रही है। गहलोत सरकार अपनी कुर्सी बचाने के लिए अपने मंत्री और विधायकों की नाजायज मांग मान रहे हैं।
सांगोद से कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने पार्टी, सरकार से कि खनिज मंत्री प्रमोद जैन भाया को बर्खास्त करने की मांग की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के अंदर ऐसे भ्रष्ट व्यक्तियों से बदबू उठ रही है। इन्हं निकाले बाहर, खनिज मंत्री पास बैठाने लायक नहीं है। मारता है बदबू। भरत सिंह ने कहा अगर मैं गलत बोलता हूं तो पार्टी निकाले मुझे बर्खास्त कर दे। भरत सिंह ने खनिज मंत्री के लिए कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री रहते हुए अशोक गहलोत ने खनिज मंत्री को पिछली सरकार में भ्रष्टाचार के कारण नहीं हटाया था। ऐसे में अभी इन्हें तत्काल प्रभाव से हटाए इससे पार्टी का भला है क्योंकि यह व्यक्ति अति भ्रष्ट है।
इस बीच विधायक भरत सिंह के आरोपों का जवाब खनिज मंत्री प्रमोद भाया ने दिया है। प्रमोद भाया ने जवाबी चिट्ठी में लिखा है कि भरत सिंह विपक्ष के कुप्रचार से प्रभावित हैं। पिछले 5 साल में खनन से राजस्व बढ़ा है। साथ ही सोरसन में कोई अवैध खनन नहीं हुआ है। इससे पहले कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने खनन मंत्री को सबसे बड़ा खनन माफिया बताया था।