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यूपी, असम चले उस राह पर जहां से चीन ले चुका है U-Tern, क्या "दो बच्चा नीति" नहीं रही कारगर!

Updated Jun 27, 2021 | 18:09 IST

Two Child Policy यानी 'दो बच्चा नीति' को लेकर चर्चायें गर्म हैं तमाम लोग इसे देश के लिए जरूरी बता रहे हैं तो कई लोग इसके निगेटिव ऑस्पेक्ट्स को तरफ भी ध्यान दिला रहे हैं वैसे चीन इस मामले पर 'यू-टर्न' ले चुका है

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'दो बच्चा नीति' को लेकर हो व्यापक चर्चा (प्रतीकात्मक फोटो)
मुख्य बातें
  • आने वाले 25-30 सालों में हालात कितने खतरनाक होंगे इसका महज अंदाजा ही लगाया जा सकता
  • भारत में 'दो बच्चा नीति' को लेकर जब भी जिक्र आता है तो तुरंत ही इसे लेकर अजीब तरीके की व्याख्या शुरू हो जाती है
  • चीन में 'वन चाइल्ड पॉलिसी' ने वहां जनसंख्या में भारी विसंगतियां पैदा कर दीं

देश में किसी भी शख्स को ये अधिकार है कि वो अपना और अपने परिवार का ख्याल रखे उसके लिए आजीविका कमाए, साथ ही वंश वृर्द्धि के लिए परिवार को बढ़ाने का भी अधिकार है यानी वो कितने बच्चे पैदा करता है ये उसका अपना खुद का डिसीजन होता है। वहीं देश में कुछ राज्य सरकारों ने 'दो बच्चा नीति' को लेकर कुछ नियम बना रखे हैं कि दो से ज्यादा बच्चे होने पर कुछ सरकारी सुविधाओं में कटौती की जाती है साथ कुछ चुनाव विशेष लड़ने पर पाबंदी लगाई जाती हैं वहीं कई और भी तरीकों के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है।

अभी हाल ही में असम ने इस मामले पर कड़ा रूख अपनाते हुए असम की सर्बानंद सोनोवाल सरकार ने फैसला किया है कि एक जनवरी 2021 के बाद दो से अधिक बच्चे वाले व्यक्तियों को कोई सरकारी नौकरी नहीं दी जाएगी वहीं उत्तर प्रदेश भी इसी राह पर कदम बढ़ाता दिखाई दे रहा है, यूपी में भी टू चाइल्ड पॉलिसी के लिए मसौदा तैयार किया जाएगा यूपी राज्य कानून आयोग के चेयरमैन ने राज्य की बढ़ती आबादी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य विधि आयोग की ओर से कानून का मसौदा बनाना शुरू कर दिया गया है।

बेतहाशा 'बढती जनसंख्या' है दिक्कतों का सबब

देश में जिस रफ्तार से आबादी बढ़ रही है उसको देखते हुए ये कहने में कोई गुरेज नहीं कि आने वाले 25-30 सालों में और उसके बाद भी हालात कितने खतरनाक होंगे इसका महज अंदाजा ही लगाया जा सकता है। आवास की समस्या सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरेगी साथ ही  खाने को पर्याप्त अनाज भी पैदा नही होगा ना ही इतने बड़ी आबादी के लिए शिक्षा की व्यवस्था हो पायेगी और ना ही चिकित्सा की साथ ही इतनी बडी आबादी के लिए स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल, रेल, सड़क, दफ्तर, कारखाने की भारी दिक्त होगी साथ ही बेरोजगारी और बीमारी अपने चरम पर होंगी। 

China ने सालों  पहले ही भांप लिए थे हालात 

तेजी से बढ़ती आबादी को लेकर को लेकर  चीन जैसे देश ने सालों पहले इस समस्या को पहचान लिया था और उस पर काम किया और 'एक बच्चा नीति'  (One Child Policy) या 'एक संतान नीति' पर काम किया। 1970 के दशक में चीन में हो रही अन्धाधुन्ध वृद्धि पर नियंत्रण पाने के लिए चीन में यह नीति लागू की गई थी। इसके अनुसार नगरीय दंपतियों को एक और ग्रामीण दंपतियों को दो बच्चे पैदा करने की अनुमति थी। इस नियम का उल्लंघन करने वाले दंपतियों का कई सालों का वेतन काटने और उन्हें जेल भेजने तक का प्रावधान था। बताया जाता है कि इस दौरान वन चाइल्ड पॉलिसी से चीन ने करीब 40 करोड़ बच्चों को पैदा होने से रोका, जिसने जनसंख्या नियंत्रण में काफी मदद की।

हमारे देश में इसे 'धर्म के चश्मे' से देखा जाता है

भारत में 'दो बच्चा नीति' को लेकर जब भी जिक्र आता है तो तुरंत ही इसे लेकर अजीब तरीके की व्याख्या शुरू हो जाती है और इसे अक्सर धर्म के चश्मे से देखा जाता है और समुदाय विशेष से इसे जोड़ा जाने लगता है,  लगभग हर धर्म के लोगों ने ही  'दो बच्चा नीति' का विरोध किया है वहीं इसके इतर देश में वोट बैंक की पॉलिटिक्स (Vote Bank Policy) के कारण आजादी के सालों बाद भी किसी भी सरकार अथवा राजनीतिक दल ने इस समस्या का समाधान तो दूर बल्कि इस पर गंभीर चर्चा भी करना सही नहीं समझा। 

'हम दो हमारे दो' का नारा लंबे समय तक चला

1960 के समय भारत में एक परिवार में औसतन पांच से लेकर छह-सात या कभी इससे ज्यादा तक बच्चे होते थे वहीं भारत में भी बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण लाने के लिए प्रयास हुए और तत्कालीन इंदिरा गांधी की सरकार  जनसंख्या पर रोक लगाने के रास्ते पर आगे बढ़ी लेकिन बाद में वो भी इससे पीछे हट गईं और इसके बाद 'हम दो हमारे दो' का नारा लंबे समय तक चला।

देश के तमाम राज्यों ने 'दो बच्चा नीति' को लेकर उठाए हैं कदम-

  • ओडिशा में दो से अधिक बच्चे वालों को अरबन लोकल बॉडी इलेक्शन लड़ने की इजाजत नहीं है।
  • बिहार में यहां भी टू चाइल्ड पॉलिसी है, लेकिन सिर्फ नगर पालिका चुनावों तक सीमित है।
  • उत्तराखंड में टू चाइल्ड पॉलिसी है, लेकिन यहां भी सिर्फ नगर पालिका चुनावों तक सीमित है।
  • मध्य प्रदेश में यहां पर 2001 में ही टू चाइल्ड पॉलिसी के तहत सरकारी नौकरियों और स्थानीय चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई थी
  • राजस्थान में सरकारी नौकरियों के मामले में जिन उम्मीदवारों के दो से अधिक बच्चे होंगे वे नियुक्ति के पात्र नहीं होंगे।
  • गुजरात में साल 2005 में सरकार द्वारा गुजरात स्थानीय प्राधिकरण अधिनियम में संशोधन किया गया था जिसके अनुसार स्थानीय स्वशासन, पंचायतों, नगर पालिकाओं और नगर निगम के निकायों का चुनाव लड़ने हेतु दो से अधिक बच्चों वाले किसी भी व्यक्ति को अयोग्य घोषित किया गया है।
  • महाराष्ट्र महाराष्ट्र ज़िला परिषद और पंचायत समिति अधिनियम स्थानीय निगम चुनाव (ग्राम पंचायत से लेकर नगर निगम तक) लड़ने के लिये दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्ति को अयोग्य घोषित किया जाएगा।

Two Child Policy पर चीन ने यूं लिया "यू-टर्न"

दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन में 'वन चाइल्ड पॉलिसी' ने वहां जनसंख्या में भारी विसंगतियां पैदा कर दीं, इस नीति के कारण चीन की आबादी में एक ओर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या बढ़ रही है तो दूसरी ओर, युवा और वर्किंग लोगों की संख्या तेजी से घट रही है, वर्किंग लोगों की संख्या के घटने से कामगारों की कमी और इससे जुड़ी कई अन्य विसंगतियां तेजी से आगे बढ़ रही थीं जिसने ड्रैगन की पेशानी पर बल ला दिए थे इसको देखते हुए चीन ने 2016 में परिवारों को दो बच्चे पैदा की अनुमति दी थी, लेकिन इससे भी बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा जिससे चीन ने अब साल 2021 में चीन ने दो-बच्चों की कड़ी नीति को समाप्त करते हुए घोषणा की है कि वह अब हर जोड़े को तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति देगा, यह फैसला तब लिया गया है जब हाल ही में चीन की जनसंख्या के आंकड़े सार्वजनिक किए गए थे जिसमें साफ हुआ कि उसकी जनसंख्या बीते कई दशकों में सबसे कम रफ़्तार से बढ़ी है।

क्या भारत के लिए भी है 'Alarming Situation'?

भारत साल 2100 तक चीन को पीछे करते हुए दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा, एक स्टडी के मुताबिक इस सदी के आखिर तक भारत की आबादी एक अरब 10 करोड़ हो जाएगी गौर हो कि  2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी अभी एक अरब 30 करोड़ है वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट का दावा है कि भारत में साल 2050 तक बुजुर्गों की संख्या 31 करोड़ से अधिक हो जाएगी, देश में  बुजुर्गों की संख्या बढ़ोतरी की रफ्तार काफी तेज हो रही है, अभी के मुकाबले 2050 में ये संख्या करीब तीन गुना होगी।

भारत में जनसंख्या संबंधी कैसी नीति होनी चाहिये, इस पर राष्ट्रव्यापी बहस की आवश्यकता है चीन का उदाहरण भी यही कहता है कि भारत को भी इस दिशा में ना सिर्फ गंभीरता बल्कि 'खासी गंभीरता' के साथ 'मंथन' कर कोई 'ठोस कदम' उठाना चाहिए।

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