- देश के सबसे बड़े सूबे की आबादी करीब 24 करोड़
- दो बच्चों से अधिक होने पर सरकारी सुविधाओं में कटौती की खबरों के बीच सियासत तेज
- विपक्षी दलों ने खास संप्रदाय पर निशाना साधने का लगाया आरोप
किसी भी देश के विकास के लिए मानव संसाधन का होना जरूरी होता है। लेकिन अगर मानव संसाधन जरूरत से अधिक हो तो अलग अलग तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अगर बात देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की करें तो करीब 2 लाख 40 वर्गकिमी क्षेत्रफल में 24 करोड़ लोग रह रहे हैं। अगर जनसंख्या घनत्व की बात करें तो करीब एक वर्ग किलोमीटर में 800 से ज्यादा लोग रहते हैं। यूपी को सामान्य तौर पर पूर्वांचल, पश्चिम उत्तर प्रदेश, मध्यांचल और बुंदेलखंड के तौर पर देखा जाता है।
सबसे अधिक जनघनत्व पश्चिम उत्तर प्रदेश में
इन चारों हिस्सों में सबसे कम जनघनत्व बुंदेलखंड में है। यूपी सरकार ने जब से इस बात का ऐलान किया है कि दो से अधिक बच्चों वालों की सरकारी सुविधाओं में कटौती की जाएगी उसके बाद से विवाद बढ़ गया है। कुछ लोगों का कहना है कि इसके जरिए खास संप्रदाय को निशाने पर साधने की कोशिश की जा रही है लेकिन उनके दावों में दम को समझना भी जरूरी है।
कुछ आंकड़ों पर डालते हैं नजर
- 2001 में हिंदुओं की आबादी करीब 80.6 फीसद और मुस्लिम आबादी करीब 18050 फीसद थी।
- 2011 में हिंदू आबादी 79.7 फीसद और मुस्लिम आबादी 19.2 फीसद पर पहुंच गई।
- यूपी के 70 में से 57 जिलों में दोनों समुदायों के बीच गैप में बढ़ोतरी हो रही है।
- 2011 की जनगणना के मुताबिक अगर बात मुजफ्ऱनगर की करें तो यहां पर हिंदुओं की आबादी जितनी घटी उतनी ही आबादी मुस्लिम समाज की बढ़ी।
- बिजनौर, रामपुर और मुरादाबाद में भी दोनों समाज के बीच अंतर ज्यादा है।
- नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2005-06 की करें तो हिंदुओं मेंप्रजनन दर 2.5 थी यानी औसतन ढाई बच्चों की थी
- वो 2015-16 में 2.1 फीसद यानी दो बच्चों की हुई।
- इसके साथ ही मुस्लिम आबादी के साथ क्रिश्चियन आबादी की भी प्रजनन दर में कमी आई।
- सभी धर्मों मे प्रजनन दर में कमी आई तो क्या विपक्ष के आरोप में दम है यह बड़ा सवाल है।
जनसंख्या विस्फोट का असर
अब सवाल यह उठ रहा है कि जनसंख्या गणित से क्या लेना देना है तो इस सवाल के जवाब में जानकार बताते हैं कि राज्य में बुनियादी सुविधाओं की कमी, अस्पतालों और स्कूलों की कमी, लोगों को रोजगार की कमी के लिए सिर्फ एक ही कारक जिम्मेदार है जिसे हम सब जनसंख्या विस्फोट कहते हैं। जानकार कहते हैं कि देश के सबसे बड़े सूबे के साथ दिक्कत ये है कि यहां आबादी सरप्लस में हमेशा रही है। राज्य सरकार द्वारा उठाये जाने वाले कदम को विपक्षी दल सियासत के चश्में से देख सकते हैं। लेकिन यह सच्चाई है कि जिस योजना को लाखों लोगों के हिसाब से बनाई जाती है उस योजना के लाभ लेने वालों की संख्या में लाखों लोग और जुड़ जाते हैं।