नई दिल्ली: भारत के बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के इनकम टैक्स (Income Tax) का भुगतान अब सरकारी खाते से नहीं किया जाएगा, इस पुरानी व्यवस्था की खासी आलोचना होने के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसका संज्ञान लेते हुए पिछले काफी सालों से चली आ रहे इस सिस्टम में बदलाव के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि 38 साल पहले यूपी में उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज, अलाउंसेज एंड मिसलेनिअस एक्ट 1981 में बनाया गया था,उस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीपी सिंह थे। इस एक्ट के मुताबिक राज्य के मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों के आयकर (Income Tax) को अदा करने का भार राज्य के खजाने पर था यानि सरकारी खजाने से ये आयकर भरा जा रहा था।
सभी दलों ने उठाया है इस व्यवस्था का फायदा
करीब 38 सालों से यही सिस्टम चला आ रहा था, इस दौरान राज्य ने 19 सीएम और करीब 1 हजार मंत्री देखे। जब से कानून लागू हुआ, विभिन्न राजनीतिक दलों के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मुलायम सिंह यादव, मायावती, कल्याण सिंह, अखिलेश यादव, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, श्रीपति मिश्र, वीर बहादुर सिंह और नारायण दत्त तिवारी को इसका लाभ हुआ।
दिलचस्प बात यह है कि समय बीतने के साथ ही राज्य का नेतृत्व बसपा सुप्रीमो मायावती जैसे नेताओं के हाथ रहा। राज्यसभा के 2012 के चुनाव के समय दाखिल हलफनामे के अनुसार जिनकी संपत्ति 111 करोड रूपये बतायी जाती है। लोकसभा के हाल के चुनाव के समय दाखिल हलफनामे के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की भी उनकी पत्नी डिम्पल के साथ 37 करोड रूपये से अधिक की संपत्ति है। इस मामले के जानकारी में आने के बाद सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस व्यवस्था को बदलने के लिए कहा है।
अब सभी मंत्री और सीएम अपने इनकम टैक्स का भुगतान खुद करेंगे
प्रदेश के वित्त मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स सैलरीज एलाउन्सेस एण्ड मिसलेनियस एक्ट-1981 के अन्तर्गत सभी मंत्रियों के इनकम टैक्स बिल का भुगतान अभी तक राज्य सरकार की ट्रेजरी द्वारा किया जाता है।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार यह निर्णय लिया गया है कि अब सभी मंत्री अपने इनकम टैक्स का भुगतान स्वयं करेंगे। उन्होंने बताया कि सरकारी खजाने से अब मंत्रियों के आयकर बिल का भुगतान नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि एक्ट के इस प्रावधान को समाप्त किया जायेगा। गौरलतब है कि वर्तमान में मुख्यमंत्री को करीब सैलरी और भत्ते के रूप में 3 लाख 65 हजार रुपये मिलते हैं।