- जबरन धर्मांतरण पर उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी
- आयोग की राय है कि धर्मपरिवर्तन रोकने के लिए मौजूदा कानूनी प्रावधान पर्याप्त नहीं हैं
- आयोग का कहना है कि कुछ एजेंसियां लालच देकर लोगों का धर्म परिवर्तन करती हैं
लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए योगी सरकार को एक नया कानून बनाने का सुझाव दिया है। आयोग ने इस बारे में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। विधि आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, 'एक विधायी मसौदे उत्तर प्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल-2019 के साथ रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई है।'
उन्होंने गुरुवार को कहा कि यह रिपोर्ट धर्मांतरण पर पड़ोसी देशों नेपाल, म्यांमार, भूटान, श्रीलंका और पाकिस्तान के कानूनों एवं इस पर अदालतों के फैसलों का अध्ययन करने के बाद तैयार की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'आयोग की राय है कि धर्मपरिवर्तन रोकने के लिए मौजूदा कानूनी प्रावधान पर्याप्त नहीं हैं और इस गंभीर मामले को देखते हुए 10 अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी नए कानून की जरूरत है।'
विधि आयोग के प्रमुख जस्टिस आदित्य नाथ ने कहा, 'भारतीय संविधान ने सभी को अपने धर्म का पालन करने एवं उसे मानने की स्वतंत्रता दी है लेकिन कुछ एजेंसियां इस आजादी का गलत इस्तेमाल कर रही हैं। ये एजेंसियां शादी, नौकरी और बेहतर जीवन शैली का लालच देकर लोगों का धर्म परिवर्तन करती हैं।'
उन्होंने आगे कहा, 'इस तरह के धर्मपरिवर्तन को रोकने के लिए हमारे पास अभी कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। इसी के चलते धर्मांतरण रोकने के लिए हमने नए कानून की सिफारिश की है। हमने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को सौंप दी है।'