- कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए लॉकडाउन की घोषणा का सबसे अधिक असर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा है
- कामकाज बंद होने के कारण वे पैदल ही अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं, क्योंकि परिवहन के सभी साधन भी बंद हैं
- हालात उन्हें हताश करने वाले हैं और ऐसे में जब पुलिस का रवैया भी अमानवीय हो जाए तो आंखों में आंसू स्वाभाविक है
लखनऊ : कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की थी, जिसके बाद परिवहन के सभी साधन बंद हो गए हैं। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच महानगरों में कामकाज पहले ही बंद हो चुके हैं, जिससे सर्वाधिक संकट दिहाड़ी मजदूरों की आजीविका पर पड़ा है। अब परिवहन के साधन बंद होने से उनके लिए अपने घरों को लौट पाना भी मुश्किल हो गया है, जबकि काम के अभाव में महानगरों में होने वाला रोजमर्रे का खर्च वहन करना भी उनके लिए एक समस्या बन गई है।
परिवहन के साधन बंद हुए
कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के बाद बदले हालात में देश के कई हिस्सों से ऐसी रिपोर्ट्स सामने आ रही हैं, जिनके मुताबिक बस, ट्रेन जैसे परिवहन साधन के अभाव में बहुत से प्रवासी मजूदर सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांव व घरों की ओर पैदल ही निकल पड़े हैं। हालात उन्हें हताश करने वाले हैं और यही वजह है कि जब कभी कोई मीडियाकर्मी उन तक पहुंचता है तो अपनी बेबसी पर उनकी आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं। इस बीच देश के विभिन्न हिस्सों से ऐसे कई वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें सड़क पर निकले लोगों को पुलिस 'कर्फ्यू' की अवमानना के आरोप में उन्हें दंडित करती नजर आ रही है।
बदायूं में पुलिस का 'अमानवीय' रवैया
पश्चिमी यूपी के बदायूं से भी ऐसा ही वीडियो सामने आया था, जिसमें पुलिस पीठ पर बैग लादे सड़क से गुजरते कुछ लोगों के साथ सख्ती से पेश आती नजर आ रही है। यह सिर्फ सख्ती होती तो भी किसी को आपत्ति नहीं होती, लेकिन पुलिस ने जिस तरह इन लोगों को सड़क पर बैठे-बैठे ही कुलांचे मारते हुए आगे बढ़ने को मजबूर किया, उसने घटना के अमानवीय पहलू को भी सामने रखा। इस दौरान पुलिस उनकी किसी दलील को सुनने के लिए तैयार नहीं हुई। ये सभी प्रवासी मजदूर बताए जा रहे हैं। अब मामले ने तूल पकड़ा तो यूपी पुलिस के बड़े अधिकारी ने इस पर माफी मांगी है।
पुलिस अफसर ने मांगी माफी
बदायूं के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) अशोक कुमार त्रिपाठी ने कहा, 'जो कुछ भी हुआ, उसका मुझे दुख है। मैं इसके लिए माफी मांगता हूं। संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ जांच की जा रही है।' उन्होंने यह भरोसा भी दिलाया कि दोबारा ऐसा न हो, यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है।
कई राज्यों से सामने आ रहे हैं ऐसे वीडियो
यहां उल्लेखनीय है कि यूपी ही नहीं, राजस्थान, पंजाब से भी ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं, जिसमें पुलिस लॉकडाउन के बावजूद सड़कों पर निकले लोगों के साथ 'अमानवीय' तरीके से पेश आती नजर आ रही है। ऐसे में जबकि प्रवासी मजदूर पहले से ही निराश व हताश हैं, पुलिस का यह रवैया उन्हें और भी परेशान करने वाला है। शायद यही वजह है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर एक युवक के सब्र का बांध उस वक्त टूट पड़ा, जब उसे अपने घर जाने के लिए कुछ भी नहीं मिला और पुलिस ने भी डंडे दिखाए।
...जब रो पड़ा बिहार का एक युवक
उस युवक का रोता हुआ वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, जिसमें वह रोते हुए सिर्फ एक ही बात कहते सुना जा रहा है, 'मुझे घर जाना है।' बिहार से ताल्लुक रखने वाला यह युवक दिल्ली में दिहाड़ी मजदूरी करता था, जिसे लॉकडाउन के कारण अब कोई काम नहीं मिल रहा है। ऐसे में उसका यहां रह पाना भी मुश्किल हो गया, जिसके बाद उसने अपने घर का रुख किया, लेकिन 3-4 दिनों तक बस अड्डे पर रहने के बावजूद उसे कोई वाहन नहीं मिला। जेडीयू से निष्कासित प्रशांत किशोर और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी इस मसले को उठाया और दिल्ली सरकार व गृह मंत्रालय से ऐसे लोगों को मदद मुहैया कराने की मांग की।