उत्तर प्रदेश में 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती (UP Shikshak Bharti) में से 31661 पदों पर भर्ती करने के मामले में एक मोड़ आया है उत्तर प्रदेश सरकार ने माना है कि चयन के दौरान गलतियां हुई हैं, इस मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में हो रही है। भर्ती के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित होकर कहा कि एनआईसी और बेसिक शिक्षा परिषद से हुई इस गलती के जांच के लिए सरकार ने कमेटी गठित कर दी है। जो भी गलतियां हुई हैं उनको सुधारा जाएगा, इसके साथ ही यूपी सरकार गलत चयन वालों की नियुक्ति भी रद्द करेगी।
गौरतलब है कि इस दौरान जहां कुछ कम मेरिट वालों को नियुक्ति मिल गई वहीं अधिक मेरिट वाले इससे वंचित रह गए हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से इस विसंगति के बारे में जवाब मांगा था, महाधिवक्ता के बयान के बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर तय की है।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से इस विसंगति के बारे में जवाब मांगा था
याची पक्ष का कहना था कि नियुक्ति पत्र देने के लिए जारी की गई सूची में बहुत से ऐसे मामले हैं जिनमें कम गुणांक वालों को नियुक्ति पत्र दे दिया गया है, जबकि अधिक गुणांक पाने वाले चयन से बाहर हैं वहीं इससे पूर्व कोर्ट ने राज्य सरकार से इस विसंगति के बारे में जवाब मांगा था। महाधिवक्ता ने कहा कि सूची जारी करने में एनआइसी और बेसिक शिक्षा परिषद के स्तर से हुई गलती को सुधारा जाएगा। इसके तहत कम गुणांक वालों को दिया गया नियुक्ति पत्र निरस्त करके अधिक गुणांक पाने वालों को दिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती के लिए चयन प्रक्रिया चल रही है, इन पदों के लिए जून महीने में 67,867 अभ्यर्थियों की अंतिम सूची जारी हुई थी, लेकिन काउंसलिंग के पहले ही दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चयन पर रोक लगा दी थी। सरकार ने आदेश दिया कि चयनितों की नई सूची जून माह में जारी अंतिम सूची से ही बनाई जाए।