- अपनी तीन दिनों की यात्रा पर भारत पहुंचे अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन
- इस यात्रा के दौरान वह पीएम मोदी, अजीत डोभाल और राजनाथ सिंह से मिलेंगे
- दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने, चीन, हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर हो सकती है चर्चा
नई दिल्ली : अमेरिका के विदेश मंत्री लॉयड ऑस्टिन अपनी तीन दिनों की यात्रा पर शुक्रवार को भारत पहुंचे। अमेरिका में जो बिडेन के सरकार संभालने के बाद उनके प्रशासन के किसी उच्च अधिकारी की यह पहली भारत यात्रा है। भारत और अमेरिका के प्रगाढ़ संबंधों को देखते हुए अमेरिकी रक्षा मंत्री की यह भारत यात्रा काफी अहम मानी जा रही है। अपने तीन दिन की यात्रा के दौरान लॉयड अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह और अन्य अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। बीते दशकों में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग काफी बढ़ा है।
रक्षा क्षेत्र में सहयोग
दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में इतने करीबी संबंध पहले कभी नहीं रहे। दक्षिण एशिया एवं हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका नई दिल्ली को अपना सबसे बड़ा रणनीतिक साझीदार बताता है। बताया जाता है कि अमेरिकी रक्षा मंत्री इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्रालय का कहना है कि विदेश मंत्री के रूप में लॉयड की इस महाद्वीप की पहली यात्रा है और इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत बनाया जाएगा।
एजेंडे में क्या-क्या
रिपोर्टों में अमेरिकी रक्षा मंत्री की इस भारत यात्रा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दोनों देशों के संबंधों के जानकारों का मानना है कि अमेरिका में सत्ता परिवर्तन होने के बावजूद रक्षा और विदेश मामलों में पहले से चली आ रही नीतियां और समझौते ही आगे बढ़ेंगे। इनमें कोई बदलाव नहीं होने वाला है। बल्कि ये सहयोग और प्रगाढ़ होंगे। जानकारों का मानना है कि इस यात्रा के दौरान लॉयड की मुलाकात राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ होगी। इस बैठक में अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में भारत की भूमिका, चीन सहित क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।
दक्षिण चीन सागर, हिंद प्रशांत क्षेत्र पर हो सकती है बातचीत
लॉयड 19 मार्च से 21 मार्च तक भारत यात्रा पर रहेंगे। इस दौरान वह शीर्ष राजनेताओं एवं सेना के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। वह हिंद-प्रशांत महासागर में चीन के दबदबे एवं प्रभाव को कम करने के लिए दोनों देश किसी रणनीति पर चर्चा कर सकते हैं। इसके अलावा दक्षिण चीन सागर में बीजिंग को घेरने के बारे में बात हो सकती है। दक्षिण चीन सागर में दबदबा बनाने के बाद चीन पिछले कुछ समय से हिंद प्रशांत महासागर में नौवहन के सामान्य नियमों की अनदेखी करते हुए अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। जबकि क्वाड समूह के देश जिसमें अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं, वे चाहते हैं कि इस क्षेत्र में नौवहन की एक नियम आधारित व्यवस्था बने और इस व्यवस्था का सभी पालन करें।
एस-400 पर भी हो सकती है बातचीत
भारत अपनी रक्षा जरूरतों को देखते हुए साल 2018 में पांच एस-400 के लिए रूस के साथ एक करार किया। दुनिया की बेहतरीन वायु रक्षा प्रणाली के लिए यह सौदा पांच अरब डॉलर में हुआ है। अगले कुछ महीनों में इस मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति रूस से होने लगेगी। इस सौदे को लेकर अमेरिकी रिपोर्टों में कहा गया है कि भारत अगर रूस से यह मिसाइल प्रणाली खरीदता है तो उस पर 'काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन एक्ट' (CAATSA) के तहत प्रतिबंध लग सकता है। हालांकि, अमेरिकी सांसदों में एक गुट ऐसा भी है जो यह चाहता है कि एस-400 पर भारत को छूट मिले। दरअसल, यूक्रेन, क्रीमिया और सीरिया में रूस की भूमिका एवं कार्रवाई अमेरिका को नागवाज गुजरी है। इसलिए वह रूस से हथियार खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाता है।