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रक्षा उपकरणों के मैन्यूफैक्चरिंग का नया हब बनेगा उत्तर प्रदेश

Updated Aug 14, 2020 | 16:41 IST

डिफेंस इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर के जरिये उत्तर प्रदेश, रक्षा विनिर्माण क्षेत्र का नया मैन्यूफैक्चरिंग हब बनेगा। छह जिलों की 50 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर पर इसका न‍िर्माण होगा।

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Yogi Adityanath with Rajnath Singh
मुख्य बातें
  • छह जिलों के 50 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे पर बनेगा रक्षा कॉरिडोर
  • कॉरिडोर का सर्वाधिक लाभ प्रदेश के सबसे पिछड़े इलाके बुंदेलखंड को
  • वर्तमान में अलीगढ़, कानपुर, झांसी एवं चित्रकूट जिलों में 1,289 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित

लखनऊ। डिफेंस इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर (डीआईसी) के जरिये उत्तर प्रदेश, रक्षा विनिर्माण क्षेत्र का नया मैन्यूफैक्चरिंग हब बनेगा। छह जिलों के 50 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे पर बनने वाले कॉरिडोर का सर्वाधिक लाभ प्रदेश के सबसे पिछड़े इलाकों में शुमार बुंदेलखंड को मिलेगा। कॉरिडोर की स्थापना लखनऊ, कानपुर, आगरा, झांसी, चित्रकूट और अलीगढ़ जनपदों में की जा रही है। उत्तर प्रदेश में वर्तमान में अलीगढ़, कानपुर, झांसी एवं चित्रकूट जिलों में 1,289 हेक्टेयर से भी ज्यादा भूमि डिफेंस कॉरिडोर की स्थापना के लिए अधिग्रहित हो चुकी है।

अतिरिक्त भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है। यही नहीं अलीगढ़ में अधिग्रहित भूमि निवेशकों को आंवटित कर दी गई है। डीआईसी को गति देने के लिए गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नेवल टेक्नॉलाजी एक्सीलेरशन कौंसिंल का ऑनलाइन लोकार्पण किया। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, “उत्तर प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर की स्थापना छह जिलों के 5,072 हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जा रही है। इस कॉरिडोर का सबसे अधिक लाभ बुंदेलखंड को होगा। झांसी में 3,025 हेक्टेयर, कानपुर में 1,000 हेक्टेयर, चित्रकूट में 500 हेक्टेयर और आगरा में 300 हेक्टेयर भूमि पर कॉरिडोर के नोड्स स्थापित किये जा रहे हैं।

इसके अलावा लखनऊ और अलीगढ़ इस कॉरिडोर के विशेष हिस्से होंगे। राज्य में में स्थापित रक्षा उद्योग कॉरिडोर एक ‘ग्रीन फील्ड’ परियोजना है, जिसके तहत रक्षा उत्पादन क्षेत्र की इकाइयों को और सुढृढ़ करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने अनेक प्रोत्साहन एवं सब्सिडी की व्यवस्था की है।” गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में प्रदेश सरकार घरेलू रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए लगातार बड़े कदम उठा रही है। इसी क्रम में प्रदेश में पहली बार फरवरी 2020 में आयोजित हुए डेफ एक्सपो-2020 में 50,000 करोड़ रुपये के मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग(एमओयू) हस्ताक्षरित हुए थे। इसके तहत विभिन्न संस्थाओं ने प्रदेश के रक्षा क्षेत्र में निवेश करने में विशेष रुचि ली है।

मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देने के लिए और घरेलू रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, मालवाहक विमान, पारंपरिक पनडुब्बियां, तोपें, कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और क्रूज मिसाइलों समेत 101 सैन्य उपकरणों, हथियारों और वाहनों के आयात पर 2024 तक रोक लगाई है।

अब इनका निर्माण घरेलू स्तर पर किया जाएगा। प्रदेश की रक्षा विनिर्माण क्षेत्र से जुड़ी औद्योगिक इकाइयों के प्रोत्साहन में केंद्र सरकार का यह फैसला मील का पत्थर बनेगा। इस निर्णय से अगले कुछ वर्षो में घरेलू रक्षा उद्योग को लगभग 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कार्य मिलेंगे। स्वाभाविक है कि इसका सबसे अधिक लाभ उत्तर प्रदेश को मिलेगा।

डीआईसी में भारतीय नौसेना के प्रतिभाग करने से उद्योग, एमएसएमई एवं स्टार्ट-अप उद्योगों का खरीददारों से सीधा सम्पर्क होगा। इसके परिणामस्वरूप वे भारतीय नौसेना के जरूरतों को पूर्ण करने में सुगमता होगी। इस योजना के माध्यम से स्वदेशीकरण में सुगमता के साथ ही साथ डिफेन्स उत्पादन इको सिस्टम में और भी उद्योग जुड़ेंगे। यूपीडा ने आईआईटी, बीएचयू एवं कानपुर के सहयोग से ‘सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स’ की स्थापना की है, जो भारतीय नौसेना के सहयोग से उद्योग-विद्या संस्थान एवं उपभोक्ताओं के बीच एक मजबूत कड़ी का काम करेगा।

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