- नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रावत दिल्ली पहुंचे
- उत्तराखंड में भाजपा विधायकों में असंतोष की बातें गाहे बगाहे उठती रही हैं
- शनिवार को देहरादून में दो घंटे से भी ज्यादा समय तक चली थी बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक
नई दिल्ली: अगले साल होने वाले उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में सियासी घमासान मचा हुआ है। सूत्रों की मानें तो राज्य में मुख्यमंत्री को बदला जा सकता है, जिसका सीधा अर्थ है कि बीजेपी त्रिवेंद्र सिंह रावत को बदलकर राज्य में नए सीएम के चेहरे पर दांव लगा सकती है। नेतृत्व परिवर्तन की बढ़ती अटकलों के बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दिल्ली पहुंच गए हैं जहां पहले से ही राज्य के कुछ विधायक और पांचों लोकसभा तथा दो राज्यसभा सांसद भी मौजूद हैं। हालांकि ये भी कहा जा रहा है कि राज्य के प्रस्तावित मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी हाईकमान चर्चा कर रहा है।
ऐसे मिला अटकलों को बल
दरअसल राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की खबरें पहले भी आई थी लेकिन तब मामला टल गया था। शनिवार को नेतृत्व परिवर्तन की खबर अचानक से उस समय सामने आई थी जब भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और छत्तीसगढ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और पार्टी मामलों के उत्तराखंड प्रभारी दुष्यंत कुमार सिंह देहरादून पहुंचे और कोर ग्रुप की बैठक हुई। बैठक में पार्टी के विधायक और कुछ सांसद भी मौजूद थे। इसके बाद गैरसैंण में मौजूद सीएम को आनन-फानन में बजट पारित करा कर सत्र भी अनिश्चितकाल के लिए समाप्त कर तत्काल देहरादून वापस आना पड़ा था।
ये नाम हैं शामिल
पर्यवेक्षक बाद में सिंह मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में भी गए जहां करीब 40 पार्टी विधायक मौजूद थे। कोर ग्रुप की बैठक के बाद सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय भी गए।खबरों की मानें तो राज्य में सीएम बदलने की कवायद शुरू हो चुकी है ऐसे में जो नया चेहरा होगा उसको लेकर भी कयास लगने शुरू हो गए हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो इन नामों में राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी, राज्य सरकार में मंत्री सतपाल महाराज और बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और नैनीताल से लोकसभा सांसद अजय भट्ट का नाम शामिल हैं।
नाराजगी की वजह
दरअसल सीएम त्रिवेंद्र सिंह के खिलाफ कुछ विधायकों तथा मंत्रियों ने काफी समय से मोर्चा खोला हुआ है। जिसके बाद हाईकमान तक मामला पहुंचने के बाद दो केंद्रीय पर्यवेक्षक देहरादून भेजे गए और इन्होंने विधायकों के साथ लंबी बातचीत की फिर अपनी रिपोर्ट केंद्रीय आलाकमान को सौंपी। वहीं जनता में भी सीएम के खिलाफ कई जगहों पर नाराजगी देखी जा रही थी।