उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने अपने ट्वीट्स से हलचल मचा दी है। उन्होंने राज्य में पार्टी के अंदर चल रही कलह को भी सामने लाकर रख दिया है। उन्होंने कांग्रेस संगठन के साथ-साथ बीजेपी सरकार पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने चुनावी राजनीति से दूर होने के भी संकेत दिए हैं। उन्होंने 3 ट्वीट में अपनी बात रखी है।
रावत लिखते हैं- #चुनाव_रूपी_समुद्र...है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं। मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि #हरीश_रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है! फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है "न दैन्यं न पलायनम्" बड़ी उपापोह की स्थिति में हूं, नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि #भगवान_केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे।
उत्तराखंड में अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने हैं। उससे पहले हरीश रावत का इस तरह सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताना कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकता है।
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इससे एक दिन पहले रावत ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि मैं आह भी भरता हूँ तो लोग खफा हो जाते हैं। यदि उत्तराखंड के भाई-बहन मुझसे प्यार जता देते हैं तो लोग उलझन में पड़ जाते हैं। मैंने पहले भी कहा है कि हम लाख कहें, लोकतंत्र की दुल्हन तो वही होगी जो जनता रुपी पिया के मन भायेगी। मैं तो केवल इतना भर कहना चाहता हूँ कि उत्तराखंड यदि मैं, आपके घर को आपके मान-सम्मान के अनुरूप ठीक से संभाल सकता हूँ तो मेरे समर्थन में जुटिये। राजनीति की डगर सरल नहीं होती है, बड़ी फिसलन भरी होती है। कई लोग चाहे-अनचाहे भी धक्का दे देते हैं, ये धक्का देने वालों से भी बचाइये। यदि मैं आपके उपयोग का हूँ तो मेरा हाथ पकड़कर मुझे फिसलन और धक्का देने वाले, दोनों से बचाइये।
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