- उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार जिले को 'बूचड़खाना मुक्त' क्षेत्र घोषित किया
- स्थानीय विधायकों ने शहर में बूचड़खानों पर रोक लगाने की मांग की थी
- एक बूचड़खाना शीघ्र ही शुरू होने वाला था, यहां 550 जानवर काटे जाते
देहरादून : उत्तराखंड सरकार ने एक बड़ा फैसला करते हुए बुधवार को हरिद्वार जिले की सभी शहरी स्थानीय निकायों को 'बूचड़खाना मुक्त' घोषित कर दिया। साथ ही जिले में पहले से जारी बूचड़खानों के लिए जारी लाइसेंस भी रद्द कर दिए। हरिद्वार जिले में दो नगर निगम, दो नगर पालिका परिषद और पांच नगर पंचायत हैं। बूचड़खानों पर शहरी विकास विभाग की यह अधिसूचना ऐसे समय आई है जब हरिद्वार में कुंभ मेला शुरू होने वाला है। ऐसे में यह उत्तराखंड सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है।
विधायकों ने रोक के लिए सीएम को लिखा था पत्र
बता दें कि हरिद्वार के विधायकों ने इस बारे में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखा था। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक विधायकों ने अपने पत्र में कहा था कि 'हरिद्वार जैसी धार्मिक नगरी' में बूचड़खानों की इजाजत नहीं होनी चाहिए। दो दिन पहले लिखे गए पत्र में इस पर रोक लगाने की मांग की गई थी। 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक हरिद्वार के लक्सर के विधायक ने बताया कि मंगलौर नगर पालिका परिषद में शुरू होने जा रहे एक बूचड़खाने पर पार्टी के विधायकों की आपत्ति थी।
बूचड़खाने में काटे जाते रोजाना 550 जानवर
उन्होंने कहा, 'यहां पर बूचड़खाना शुरू करने के लिए लाइसेंस कांग्रेस की सरकार के समय में जारी किया गया। इस बूचड़खाने में रोजाना करीब 550 जानवरों को काटने की अनुमति मिली हुई थी। यह जल्द ही शुरू होने जा रहा था लेकिन अब इजाजत रद्द हो गई है। अब हरिद्वार के किसी भी क्षेत्र में बूचड़खाना नहीं है।' संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री सतमाल महाराज का कहना है कि बूचड़खाने शुरू होने पर रोक लगाने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया था।
सतपाल महाराज ने जारी किया वीडियो
एक वीडियो संदेश में सतपाल महाराज ने कहा, 'हरिद्वार को भगवान का घर माना जाता है और इन दिनों हम यहां कुंभ का आयोजन करने जा रहे हैं। यहां एक बूचड़खाना शुरू होने वाला था जहां पर रोजाना करीब 550 गायें काटी जातीं। मैंने इस पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री से अनुरोध किया था। उन्होंने यह अनुरोध स्वीकार कर लिया। इससे हरिद्वार की पवित्रता बनी रहेगी और शहर का विकास होगा।'