उत्तराखंड के चमोली में कुदरत का ऐसा कहर बसा जिसे लोग जल्दी भूल नहीं पायेंगे, वहां संडे को ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही मची है जिसमें अभी भी कई लोग लापता बताए जा रहे हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी सेना, ITBP, SDRF टीमों के जवान तपोवन टनल (Tapovan Tunnel) के अंदर हैं और रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं, इसको करने में भारी दिक्कतें पेश आ रही हैं बताया जा रहा है कि तपोवन टनल में गाद और गीली मिट्टी के कारण राहत में अड़चनें पैदा हो रही हैं मगर जवानों के हौसलों में कोई कमी नहीं आई है और वो पूरे जोशो खरोश के साथ इस काम में लगे हुए हैं।
बचाव और राहत अभियान जोरों से जारी है जिसमें बुलडोजर, जेसीबी आदि भारी मशीनों के अलावा रस्सियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। आईटीबीपी और एनडीआरएफ की टीम श्वान दस्ते की भी मदद ले रही है। एनडीआरएफ की टीम भी रविवार देर रात घटनास्थल पर पहुंच गयी और सुरंग के रास्तों को साफ करने के काम में जुट गयी।
आपदा में मरने वालों की संख्या 26 तक पहुंच गई अभी भी कई लोग अभी लापता हैं। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस,एनडीआरएफ और राज्य आपदा मोचन बल के कई दल रविवार रात से सुरंग से मलबा हटा रहे हैं और फंसे हुए श्रमिकों की तरफ बढ़ रहे हैं।
लापता लोगों की तलाश के लिए राहत एवं बचाव कार्य चलाया जा रहा है। सुरंग में फंसे लोगों को निकालने के लिए बचाव कार्य तेज कर दिया गया है।
आईटीबीपी के प्रवक्ता ने बताया, 'हमारी टीम सुरंग के भीतर फंसे करीब 30 श्रमिकों को बचाने के लिए रात से ही काम कर रही हैं। ऐसे अभियान के लिए खास उपकरण लगाए गए हैं। हमें उम्मीद है कि हम सभी को बचा लेंगे।'
उन्होंने कहा, 'सुरंग के भीतर बहुत ज्यादा मलबा है। सुरंग के भीतर 100 मीटर के रास्ते को साफ कर दिया गया है तथा और 100 मीटर तक मलबे को हटाया जाना है।'
स्थानीय मजदूरों के साथ आईटीबीपी के दल अर्थमूवर्स मशीनों की मदद से 1500 मीटर लंबी सुरंग के पास मलबा साफ करने के काम में जुटे हैं।
मेडिकल कोर समेत सेना की कुछ टीम भी वहां पहुंच गयी है। आईटीबीपी के जवानों ने रविवार शाम को एक छोटी सुरंग से कम से कम 12 लोगों को बचाया था। उनमें से कुछ को आईटीबीपी के जोशीमठ स्थित अस्पताल में भर्ती करवाया गया।बताया जा रहा है कि प्रशासन द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में 202 लोग लापता हैं ये श्रमिक उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं।