- उत्तर पूर्वी दिल्ली के हिंसा ग्रस्त इलाकों में तेजी से बदल रहे हैं हालात
- उपद्रवियों ने इलाकों में मचाया उत्पात, पेट्रोल बम फेंके, वाहनों में लगाई आग
- शादी वाले घर को भी नहीं छोड़ा, बच्चों को बचाने के लिए बालकनी से फेंका
नई दिल्ली: उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा कितने व्यापक स्तर पर हुई इसकी भयावह तस्वीर अब धीरे-धीरे सामने आने लगी है। हिंसा ग्रस्त इलाकों में उपद्रवियों ने घरों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इस हिंसा में करीब 35 लोगों की जान जा चुकी है और काफी लोग अभी भी अस्पतालों में भर्ती हैं। हिंसा प्रभावित इलाकों से सामने वाली घटनाएं सिहरन पैदा करने वाली हैं कि कैसे उन्मादी भीड़ लोगों का नुकसान करने पर उतारू थी। हिंसा से पीड़ित लोग सामने आकर अपने दुख और त्रासदी को बयां करने लगे हैं।
उपद्रवियों ने शादी के घर को बनाया निशाना
करावल नगर के चांद बाग इलाके में आप पार्षद ताहिर हुसैन की फैक्टरी के आस-पास कई इमारते हैं। इन्हीं इमारतों से एक में शादी की तैयारी चल रही थी। हलवाई यहां मिठाइयां बना रहे थे। शादी की तैयारी के लिए इस इमारत में जितनी भी चीजें लाई गई थीं उपद्रवियों ने उस सारी चीजों को नष्ट कर दिया और आग लगा दी। यहां मौजूद लोगों का कहना है कि इन सब चीजों के लिए ताहिर जिम्मेदार है। पड़ोसियों का कहना है कि उन्होंने यहां ताहिर हुसैन को 200 से 300 दंगाइयों को हिंसा के लिए उकसाते हुए देखा।
'हम जान बचाकर यहां से भागे'
नरेश नाम के व्यक्ति ने बताया कि उसके यहां 25 फरवरी को शादी थी। इसकी तैयारी के लिए वे 23 फरवरी को यहां आए थे। नरेश ने बताया, 'यहां करीब 150 से 200 लोग आए और हमें घेर लिया। नीचे पार्किंग में आग लगा दी। लोग फिर ऊपर आ गए। हम मुश्किल से अपनी जान बचाकर यहां से भागे। यहां से खाना बनाकर हम लोग ले जाने वाले थे लेकिन सब कुछ तहस नहस कर दिया। हम बर्बाद हो गए। हमने किसी तरह से पांच लोगों को जुटाया और उत्तर प्रदेश में जाकर शादी की।'
'ताहिर हुसैन की फैक्टरी से चले पेट्रोल बम'
व्यक्ति ने बताया, 'उस दिन ताहिर हुसैन अपनी फैक्टरी में था। उसकी छत से पेट्रोल बम फेंके गए और पत्थरबाजी हुई। उसकी छत से सुबह 10 बजे से रात के नौ-दस बजे तक लगातार आठ घंटे गोलियां चलीं। हमारे दो हलवाइयों के पैर में चोटें आई हैं। ताहिर हुसैन लाल जर्सी पहने हुए था और वह लोगों को उकसा रहा था। ताहिर को सजा और हमें सरकार से आर्थिक राहत मिलनी चाहिए।'
महिला ने बच्चों को बॉलकनी से नीचे फेंका
हिंसा के दौरान यमुना विहार में कई इमारतों को पेट्रोल बम से निशाना बनाया गया। यहां वाहनों में आग लगाई गई। एक पीड़ित ने बताया कि भीड़ के हमले के वक्त वे अपने घर में थे और पीछे के दरवाजे से भागकर अपनी जान बचाए। एक हिंसा पीड़ित महिला ने कहा, 'छोटे-छोटे बच्चों को हमने अपने घर की बालकनी से नीचे फेंका। हालात बेहद खराब थे। यहां गलियों में एक हजार से ज्यादा भीड़ थी। पुलिस वालों की संख्या 50 से 60 थी। इस भीड़ का मुकाबला पुलिस कैसे कर पाती। हमें छोटे-छोटे बच्चों को अपने हाथों से बॉलकनी से नीचे फेंकना पड़ा। हमारी क्या गलती थी।'
उत्तर पूर्वी दिल्ली में सामान्य हो रहे हालात
दिल्ली हिंसा में अब तक 35 लोगों की मौत हो चुकी है। काफी संख्या में लोग अभी अस्पतालों में भर्ती हैं। गुरुवार को गगन विहार इलाके में दो और लाशें मिलीं। इन लाशों को नाले में फेंका गया था। लाशों की हालत इतनी खराब है कि इनकी पहचान नहीं हो पाई है। बुधवार शाम को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने हिंसा ग्रस्त इलाकों का दौरा किया। इसके बाद से उत्तर पूर्वी इलाकों के हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं।