- अनौपचारिक वार्ता के पहले दिन नरेंद्र मोदी- शी जिनपिंग में करीब पांच घंटे बातचीत
- कट्टरता और आतंकवाद के मुद्दे पर हुई वार्ता
- आपसी मतभेदों को दरकिनार कर दोनों नेताओं ने आगे बढ़ने पर दिया बल
नई दिल्ली: महाबलीपुरम ( Mahabalipuram) की धरती पर जब पीएम नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi) ने दस्तक दी तो उनका अंदाज चौंकाने वाला था। वो तमिल परिधान में नजर आए। उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की प्रधानसेवक की नजर में क्षेत्रवाद के लिए जगह नहीं है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) को उन्होंने भारत की खूबियों के बारे में बताया। तस्वीरें इस बात की गवाही दे रही थीं कि पीएम मोदी हर एक सेकेंड को इस तरह से जिनपिंग के सामने रख रहे थे कि वो समझ सकें कि किस तरह से चीन और भारत का रिश्ता सदियों पुराना रहा है। यही नहीं अब एक बार फिर समय की मांग है कि दोनों देश एक बेहतर साझा भविष्य को बनाने के लिए आगे बढ़ें। विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच ज्यादातर वन टू वन बातचीत हुई।
विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि अनौपचारिक वार्ता के पहले दिन व्यापार से संबंधित मुद्दे, जिसमें आपसी व्यापार को बढ़ावा देने के तरीकों के साथ साथ कट्टरता और आतंकवाद के विषय पर खास चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि दोनों देश इस बात पर सहमत थे कि दोनों देशों में भिन्नताओं के बाद कट्टरवाद एक ऐसा विषय है जिसका असर भारत और चीन के समाज पर नहीं होना चाहिए और इसके लिए दोनों मुल्कों को आगे आना होगा।
विजय गोखले के मुताबिक राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि वो भारत के साथ सभी मुद्दों पर सौहार्दपूर्ण वातावरण में आगे काम करने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने कहा कि दोनों नेता गर्मजोशी के साथ मिले। इस बैठक की खास बात ये थी कि दोनों नेताओं के बीच डिनर तय समय से 95 मिनट ज्यादा चली।
पीएम नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग महाबलीपुरम की खूबसूरती को अपनी आंखों में कैद करते हुए आगे का सफर तय करते रहे। कभी जिनपिंग, पीएम मोदी से कुछ पूछते थे तो कभी पीएम मोदी खुद आगे बढ़कर भारतीय स्थापत्य कला की जानकारी दे रहे थे। शी जिनपिंग की भावभंगिमा को देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं था वो बड़ी तल्लीनता के साथ भारत की उस विरासत का अवलोकन कर रहे थे जिसकी निशान आज भी महाबलीपुरम में मौजूद हैं।