विशाखापट्टनम : आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गुरुवार तड़के एक रासायनिक संयंत्र से जहरीली गैस रिसाव मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। यहां स्टाइरीन गैस के रिसाव से 11 लोगों की जान चली गई है, जबकि करीब एक हजार लोग इसकी चपेट में आए हैं। इस सिलसिले में राष्ट्रीय मावाधिकार आयोग की ओर से केंद्र और प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया गया है। इस बीच सरकार ने प्रभावित लोगों के लिए आर्थिक सहायता राशि की भी घोषणा की है।
एलजी पॉलिमर्स के खिलाफ एफआईआर
गैस लीक मामले में फार्मा कंपनी एलजी पॉलिमर्स के प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें विभिन्न धाराओं के तहत वातावरण को स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक बनाने, जहरीले पदार्थ को लेकर लापरवाही, आग या दहनशील पदार्थ के संबंध में लापरवाही, दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने, दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालते हुए बड़ी क्षति का कारण बनने जैसे गंभीर आरोप एलजी पॉलिमर्स के प्रबंधन के खिलाफ लगाए गए हैं।
केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस
इस घटना को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गुरुवार को केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पीड़ितों के जीवन के अधिकार को खतरे में डाला गया। यह घटना ऐसे समय में हुई है, जबकि पूरा देश कोरोना संक्रमण के खतरे से जूझ रहा है और लोग घरों में कैद हैं। ऐसे में इस घटना ने लोगों पर गहरा असर डाला है। आयोग ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव से इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिसमें बचाव एवं राहत कार्य, प्रभावित लोगों को उपचार मुहैया कराए जाने और पुनर्वास कार्यों को लेकर सवाल किए गए हैं।
सहायता राशि की घोषणा
इस बीच आंध प्रदेश सरकार ने प्रभावित लोगों के लिए सहायता राशि की घोषणा की है। सरकार ने गैस लीक मामले में जान गंवाने वालों के परिजनों को 1 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है। साथ ही जो लोग वेंटिलेटर पर हैं, उन्हें 10 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। गैस रिसाव के कारण जहां 11 लोगों की अब तक जान जा चुकी है, वहीं संयंत्र के आसपास के इलाकों में रह रहे करीब 1,000 लोग प्रभावित हुए हैं। संयंत्र के तीन किलोमीटर के दायरे से करीब 200 से 250 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।