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महाराष्ट्र में अब मास्क पहनना अनिवार्य नहीं, स्वास्थ्य मंत्री बोले- फिर भी अनुरोध करता हूं लोग मास्क पहने

Updated Mar 31, 2022 | 20:17 IST

दुनिया के कई देशों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं जबकि महाराष्ट्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि  महाराष्ट्र में अब मास्क पहनना अनिवार्य नहीं है।

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महाराष्ट्र में अब मास्क पहनना स्वैच्छिक है
मुख्य बातें
  • महाराष्ट्र में सभी कोविड प्रतिबंध 2 अप्रैल से हटा दिए जाएंगे।
  • मास्क नहीं पहनने पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।
  • लेकिन स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि हम यह नहीं कह सकते कि कोविड का खात्मा हो गया है।

मुंबई: यूरोप, चीन और अन्य देशों में कोविड ​​-19 मामलों में वृद्धि के बीच महाराष्ट्र कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि मास्क पहनना अनिवार्य नहीं है लेकिन हम लोगों को इसे पहनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। महाराष्ट्र में अब मास्क पहनना स्वैच्छिक है। मास्क अब अनिवार्य नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि मास्क पहनना अनिवार्य नहीं होगा, यह स्वैच्छिक होगा। बिना मास्क के पाए जाने पर जुर्माना नहीं लगेगा। लेकिन राज्य के स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते मैं आप सभी से मास्क पहनने का अनुरोध करता हूं।

महाराष्ट्र में अनिवार्य रूप से मास्क लगाने समेत कोविड-19 से संबंधित सभी पाबंदियों को दो अप्रैल से खत्म कर दिया जाएगा। सरकार ने गुरुवार को यह घोषणा की। दो साल से ज्यादा समय के बाद महामारी से संबंधित पाबंदियों को हटाया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने पत्रकारों से कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय किया गया है।

टोपे ने कहा कि गुड़ी पड़वा (मराठी नव वर्ष जो इस बार दो अप्रैल को होगा) से महामारी अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत लगाई गईं कोविड-19 से संबंधित सभी पाबंदियों को हटा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि दो अप्रैल से मास्क लगाना जरूरी नहीं रहेगा।

स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि 2 अप्रैल से, महाराष्ट्र में सभी कोविड प्रतिबंध हटा दिए जाएंगे। मास्क नहीं पहनने पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा। हम यह नहीं कह सकते कि कोविड का खात्मा हो गया है, मेरा अनुरोध है कि लोग मास्क पहनें। यह एक विकल्प होगा, यह अब अनिवार्य नहीं होगा।

महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 40-50 वर्ष के आयु वर्ग के करीब 22 लाख सरकारी कर्मचारियों को एक वर्ष में एक अनिवार्य चेकअप और 50-60 वर्ष की आयु के लिए दो चेकअप प्रदान किए जाएंगे। प्रत्येक कर्मचारी को इसके लिए 5000 रुपये (ऊपरी सीमा) प्रदान किए जाएंगे, जिसकी लागत हर साल करीब 105 करोड़ रुपये होगी।

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