नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे गुरुवार को उच्च सदन के 72 रिटायर होने वाले सांसदों के विदाई समारोह से पहले हंसी-मजाक करते दिखे। प्रधानमंत्री मोदी आज सुबह अगले कुछ महीनों में रिटायर होने वाले राज्यसभा सदस्यों के साथ एक ग्रुप फोटो के लिए संसद के इस एरिया में घूम रहे थे। उन्हें रास्ते में डीएमके सांसद तिरुचि शिवा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार समेत सभी नेताओं का अभिवादन करते देखा गया। प्रधानमंत्री जैसे ही फोटो अपरच्युनिटी एरिया के सेंटर में आए, उन्हें राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से हाथ मिलाते हुए देखा गया। दोनों को काफी देर तक बातें करते और हंसी-मजाक करते देखा गया।
प्रधानमंत्री को खड़गे से उन्हें स्लो डाउन रहने और सदन को चलने देने के लिए कहते हुए देखा गया, खड़गे ने बदले में प्रधानमंत्री से कहा कि उनकी पार्टी का काम सवाल पूछना है और पीएम और उनकी सरकार को जवाब देना है। दोनों नेता आखिरकार हंसे और अलग होकर चल दिए।
रिटायर 72 राज्यसभा सांसदों को दी गई विदाई
राज्यसभा ने गुरुवार को इस साल मार्च से जुलाई तक रिटायर होने वाले 72 सदस्यों को विदाई दी गई। रिटायर होने वाले 72 सदस्यों में एके एंथोनी, अंबिका सोनी, पी चिदंबरम, आनंद शर्मा, जयराम रमेश, सुरेश प्रभु, प्रफुल पटेल, डॉ सुब्रमण्यम स्वामी, प्रसन्ना आचार्य, संजय राउत, नरेश गुजराल, सतीश चंद्र मिश्रा, एमसी मैरी कॉम, स्वप्न दासगुप्ता शामिल हैं। डॉ नरेंद्र जाधव पैंसठ रिटायर सदस्यों ने 19 राज्यों का प्रतिनिधित्व किया जबकि 7 मनोनीत सदस्य हैं।
रिटायर होने वाले सांसद अनुभव के भंडार हैं
प्रधानमंत्री ने रिटायर 72 राज्यसभा सांसदों को विदाई देते हुए कहा कि उन्हें अपने समृद्ध संसदीय अनुभव को देखते हुए सदन में वापस आना चाहिए। उच्च सदन में बोलते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि रिटायर सांसदों में वे लोग शामिल हैं जो तीन और चार बार राज्यसभा के सदस्य रहे हैं। अपने विदाई भाषण की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने इस संसद में लंबा समय बिताया है। इस सदन ने हमें भी बहुत योगदान दिया है। वास्तव में, सदन ने हमें जितना योगदान दिया है, उससे कहीं अधिक दिया है। कामना है कि रिटायर होने वाले सांसद सदन में वापस आ सकेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि रिटायर होने वाले सांसद अनुभव के भंडार हैं। प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में कहा कि कभी-कभी अनुभव अकादमिक ज्ञान से अधिक उपयोगी होते हैं। अनुभव हमें समस्याओं को हल करने में मदद करता है और नई गलतियों को कम किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे सांसदों को अपने समृद्ध अनुभव को देश के सभी हिस्सों में ले जाना चाहिए।
'फिर आएं' रिटायर होने वाले सांसद
उन्होंन कहा कि इतना अनुभव रखने वाले सांसद जब चले जाते हैं तो सदन को स्वाभाविक तौर पर नुकसान का आभास होता है। जिनके पास अनुभव नहीं है उनके पास और भी जिम्मेदारियां हैं। आइए हम संकल्प लें कि रिटायर सांसदों से हमने जो कुछ भी सीखा है उसे देश की प्रगति के लिए आगे बढ़ाया जाना चाहिए। हम रिटायर होने वाले सदस्यों से कहेंगे 'फिर आएं'।